नयी दिल्ली से अंकित यादव की रिपोर्टः-
नयी दिल्ली: चाईबासा की घटना की गुंज दिल्ली के संसद के गलियारों में गुंजने लगी है। भाजपा के सांसदों ने आज संसद भवन के समक्ष झारखंड के चाईबासा में हुई आदिवासियों की हत्या के विरोध में महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने भाजपा के झारखंड तथा आदिवासी क्षेत्रों के सांसदों ने धरना प्रदर्शन किया। सांसदों और नेताओं ने कहा कि राज्य में हेमंत सरकार के आने के बाद से ही कानून व्यवस्था बिगड़ गई है। उन्होंने कहा कि सत्ता में आते ही हेमंत सोरेन की महागठबंधन सरकार ने पत्थलगड़ी समर्थकों पर दायर मुकदमे वापस ले लिए थे, आखिर इन आदिवासियों के नरसंहार का जिम्मेदार कौन है? रांची से सांसद संजय सेठ ने कहा कि 19 जनवरी को चाईबासा में 7 आदिवासी बंधुओं की हत्या हुई थी। बेगुनाह आदिवासियों की हत्या की दोषी हेमंत सरकार है। इस मुद्दे पर राज्य सरकार की मंशा सही नहीं है। वहीं राज्यसभा सांसद महेश पोद्दार ने कहा कि कांग्रेस के खूनी हाथ का इशारा पाकर हेमंत सोरेन सरकार ने अलगाववादी गतिविधियों में लिप्त पत्थलगड़ी समर्थकों पर दर्ज मुकदमे वापस लिए, जो इस नरसंहार की वजह बना। हजारीबाग से सांसद जयंत सिन्हा ने कहा झारखंड में गुंडाराज नहीं चलने देंगे। पुलिस द्वारा गठित एसआईटी बुरुगुलीकेरा नरसंहार मामले में पीएलएफआई उग्रवादी कमांडर मंगरा लुगून का नाम सामने आया है। पीएलएफआई कमांडर मंगरा लुगून को पुलिस ने इस मामले में अभियुक्त बनाया है। वह नरसंहार में मारे गए उपमुखिया जेम्स का रिश्तेदार है। नरसंहार विवादित पत्थलगड़ी समर्थकों के बीच तनाव का नतीजा था। एसआईटी की रिपोर्ट में कहा गया है- विवादित पत्थलगड़ी समर्थक गुजरात से प्रशिक्षित हैं। इनमें राणसी बूढ़, जितेन बूढ़ और सुखराम मुंडा प्रमुख हैं। ये लोग दूसरों को सरकारी सुविधा नहीं लेने का दबाव बनाते हैं। इन्हीं मास्टर ट्रेनरों में नरसंहार के मुख्य आरोपी एसी राणसी बूढ़, एसी जितेन बूढ़ और एसी सुखराम मुंडा भी हैं। जिनका मानना है कि उनकी अपनी नन ज्यूडिशियल सरकार है। बाकि जो भी सरकारी सिस्टम है मुखिया, एमपी, एमएलए आदि प्रशासनिक व्यवस्था व ज्यूडिशियल है। इसके कारण वे सरकारी सिस्टम को नहीं मानते हैं। बुरूगुलीकेरा गांव में 19 जनवरी रविवार को पत्थलगड़ी समर्थकों ने ग्रामसभा कर पत्थलगड़ी विरोधी उपमुखिया जेम्स बूढ़ समेत 7 ग्रामीणों की पीट-पीटकर हत्या कर दी थी। पुलिस ने 22 जनवरी को सातों शवों को बरामद किया था। बुरुगुलीकेरा गांव के उपमुखिया जेम्स बुढ़ के अलावे लोंबा बुढ़, निर्मल बुढ़, जबरा बुढ़, कोंजें टोपनो, वोवास लोमगा, एतवा बुढ़ की हत्या सरेआम गुलीकेरा पंचायत के पूर्व मुखिया मुक्ता कुई के पति रांसी बुढ़ के आंगन में ही की गई थी। इस घटना को लेकर काफी राजनीति हो रही है। भाजपा जहां इसे पत्थलगड़ी से जोड़कर देख रहे हैं वहीं सत्ता प्क्ष इसे आपसी रंजिश का परिणाम बता रहे हैं।
