लालू प्रसाद यादव को नहीं मिलेगी पेराॅल, लालू यादव की अपनी ही सरकार ने पेराॅल को लेकर लालू की उम्मीदों को लगाया झटका, राजद नेता नाराज

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रांची से मुखर संवाद के लिये अशोक कुमार की रिपोर्टः-
रांची : राजद के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव को उनकी अपनी ही हेमंत सोरेन की सरकार से पेराॅल पर बाहर आने की उम्मीदों पर पानी फिरता हुआ दिखाई दे रहा है। लालू प्रसाद यादव को उम्मीद थी कि झारखंड में उनकी सरकार होने के कारण जल्छ ही वह पेराॅल पर जेल से बाहर आयेंगें। हालांकि लालू प्रसाद यादव को कोरोना को लेकर अन्य कैदियों से अधिक खतरा होने के वावजूद उनकी उम्मीदों को राज्य सरकार ने ठुकरा दिया है। लालू प्रसाद यादव फिलहाल रिम्स में इलाज करा रहे हैं जहां कोरोना के मरीजो का भी इलाज उनके उपर तीसरे तल्ले में हो रहा है। राजद के नेताओं ने कोरोना के खतरे को देखते हुए पेरौल में हिा करने की मरंग मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से की है। राजद की मांग का समर्थन कांग्रेस के नेता भी कर रहे हैं। कृषि मंत्री बादल पत्रलेख के साथ-साथ कांग्रेस विधायक इरफान अंसारी ने भी पत्र लिखकर मुख्यमंत्री से लालू प्रसाद यादव को रिहा करने की मांग की थी। लेकिन उनकी भी कोशिशों को झटका लगा है। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और चारा घोटाला के सजायाफ्ता लालू प्रसाद यादव की उम्मीदों को बुधवार को तगड़ा झटका लगा. कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते उन्हें पेरोल मिलने की उम्मीद थी, लेकिन अब यह उम्मीद भी खत्म हो गयी है. जेलों में कोविड19 के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए सरकार ने कुछ कैदियों को रिहा करने की योजना बनायी थी.इसी योजना के तहत उम्मीद थी कि राष्ट्रीय जनता दल के सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को भी पेरोल पर रिहा किया जा सकता है. लेकिन, कोरोना संक्रमण के विस्तार को रोकने के लिए हुई एक उच्चस्तरीय बैठक में जो फैसला हुआ, उसने लालू की रिहाई के रास्ते बंद कर दिये.झारखंड हाईकोर्ट के माननीय न्यायाधीश एससी मिश्रा, मुख्य सचिव सुखदेव सिंह, जेल आईजी शशि रंजन व डालसा के सचिव की मौजूदगी में हुई बैठक में तय किया गया कि आर्थिक अपराध के मामले में सजा भुगत रहे लोगों और ऐसे सजायाफ्ता, जिन्हें सात साल से ज्यादा की सजा हुई है, उन्हें पेरोल नहीं दी जायेगी.गंभीर आपराधिक मामलों को छोड़कर सात साल से कम अवधि की सजा पाने वाले कैदियों की पेरोल का विरोध सरकार अदालत में नहीं करेगी. उन सभी मामलों में संबंधित कोर्ट ही फैसला करेगा. इस बैठक के बाद लालू प्रसाद के पेरोल पर चल रही बहस थम गयी.उच्च स्तरीय बैठक के बाद लालू प्रसाद के पैरोल पर चल रहा संशय थम गया है। आर्थिक अपराध का आरोपी होने के कारण लालू प्रसाद को पैरोल नहीं मिल पाएगा। बैठक में हाईकोर्ट के जस्टिस एससी मिश्रा, मुख्य सचिव सुखदेव सिंह, जेल आईजी शशि रंजन व डालसा के सचिव मौजूद थे। झारखंड के जेल आईजी शशि रंजन ने बताया की कोरोना को लेकर जेलों में भीड़ को देखते हुए , सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया था की सात साल से कम सजा वाले कैदियों को पैरोल पर छोड़ा जाए। ताकि इस महामारी को फैलने से रोका जा सके। झारखंड के केंद्रीय काराओं की क्षमता 14 हजार 114 हैं जिसमे वर्तमान में 18742 कैदी रह रहे हैं। जेल आईजी ने बताया कि केंद्रीय कारा से कैदियों को मंडल व उपकाराओं में शिफ्ट किया जाएगा। हालांकि इस दौरान कैदियों की अदालतें नहीं बदलेंगी।लालू प्रसाद यादव आर्थिक मामलों में दोषी करार दिये गये हैं और उन्हें चारा घोटाला के कई मामलों में सजा हो चुकी है. इसलिए उन्हें पेरोल नहीं मिलेगी। लालू प्रसाद यादव लंबे अरसे से बीमार हैं और कई बार जमानत के लिए हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक का दरवाजा खटखटा चुके हैं। झारखंड के जेलों में कोरोना संक्रमण न फैले इसके लिए उच्च स्तरीय बैठक हुई। बैठक में तय हुआ कि आर्थिक आपराधिक और सात साल से ज्यादा सजा वालों को पैरोल नहीं दी जाएगी। वहीं गंभीर आपराधिक मामलों को छोड़ सात साल की कम सजा वाले कैदियों की पैरोल का विरोध सरकार कोर्ट में नहीं करेगी। उन मामलों में संबंधित कोर्ट ही निर्णय ले सकती है । वहीं लालू प्रसाद को पेराॅल नहीं मिलने पर राजद के नेताओं में हेमंत सरकार को लेकर नाराजगी भी जाहिर हुई है। लालू प्रसाद यादव के समर्थक ऐसा मानते हैं कि हेमंत सरकार के कारण ही लालू पेराॅल पर रिहा नहीं हो सके और उनकी उम्मीदों पर पानी फिर गया है।

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