
पटना से तपन यादव की रिपोर्टः-
पटना: बिहार के विपक्ष के नेताओं के साथ कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी ने बातचीत कर उनमें नया जोश बिहार विधानसभा चुनाव के मद्देनजर ला दिया है कि वो एक साथ बिहा की भाजपा और जदयू के नीतिश सरकार के विरोध में आवाज बुलंद करें। बिहार के विपक्षी दल के नेताओं ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को केंद्र की गरीब विरोधी मोदी सरकार को एक्सपोज करने के लिए बाकायदा आंदोलन की सलाह दी है। मौका, शुक्रवार को सोनिया गांधी द्वारा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए की गई 22 विपक्षी दलों के साथ मीटिंग का था। इस मीटिंग में बिहार से तेजस्वी यादव, हम के अध्यक्ष जीतनराम मांझी तथा रालोसपा के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा शामिल हुए।
प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि बिहारी श्रमवीर बिहार से बाहर नहीं निकलेंगे, तो पूरे देश की अर्थव्यवस्था ठप हो जाएगी। बिहार में उद्योग धंधे लगाने ही होंगे। वह कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा शुक्रवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई 22 विपक्षी दलों की मीटिंग में बोल रहे थे। उन्होंने कहा- सभी गरीब परिवारों को 25-25 किलो चावल 6 महीने तक मुफ्त दिया जाए। प्रवासियों को लाने के लिए अधिक से अधिक ट्रेन चले। गैर आयकर वर्ग के सभी परिवारों को छह महीने तक आठ-आठ हजार रुपया नकद दिया जाए। उन्होंने कहा कि नोटबंदी की तरह कोरोना काल में भी केंद्र सरकार के सारे निर्णय गलत साबित हुए। बिहारी मजदूरों के साथ दुर्व्यवहार हुआ। हम सरकार पर ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन का दबाव बनाएं। रालोसपा अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने संयुक्त आंदोलन का सुझाव दिया। कहा- प्रवासी मजदूरों, किसानों सहित हर वर्ग के लोगों की समस्या दूर करने के लिए 31 मई या कोई और तिथि तक सरकार को समय दिया जाय। इसके बाद विरोध दर्ज कराया जाए। सोशल मीडिया, फेसबुक आदि से भी लोगों की समस्याओं को सामने लाया जाए। कोरोना संकट से बिहार के प्रवासी श्रमिक सबसे अधिक प्रभावित हैं। इनके रोजगार की व्यवस्था हो। किसानों को फसल के नुकसान का मुआवजा मिले। बच्चों की पढ़ाई सुनिश्चित हो। ऑनलाइन पढ़ाई में गरीब परिवार के बच्चे वंचित रह जाते हैं। बिहार में महागठबंधन के घटक दलों को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने एक मंच पर लाने की कोशिश की। शुक्रवार को सोनिया की अध्यक्षता में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बुलाई गई विपक्ष की मीटिंग के मुद्दे वैसे तो राष्ट्रीय थे, किंतु बिहार में सबको एक प्लेटफॉर्म पर लाकर सोनिया ने विपक्ष की राजनीति को गतिशील कर दिया है। उन्होंने स्पष्ट संदेश दिया कि सब एकजुट होकर राज्य एवं केंद्र सरकार के पास पहले अपनी बात रखें और जरूरत पड़ी तो आंदोलन भी करें। सोनिया गांधी ने सबकी बातों से सहमति जताते हुए कामगारों को देश की रीढ़ बताया और कहा कि केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर इस रीढ़ को बर्बाद कर रही है। विपक्ष ऐसा नहीं करने देगा। कांग्रेस अध्यक्ष ने प्रधानमंत्री से बिहार के लिए विशेष दर्जा और विशेष पैकेज की मांग की और इसके लिए संयुक्त विपक्ष को एकजुट होकर आगे बढने के लिए प्रेरित किया। सोनिया से मंत्र लेने के बाद सभी दल सबसे पहले प्रधानमंत्री एवं राष्ट्रपति को पत्र लिखकर बिहार के हक की मांग करेंगे। उसके बाद पांच सदस्यीय समिति बनाकर आंदोलन की रूपरेखा तय करेंगे। तेजस्वी यादव ने सोनिया से कहा कि हम सबको मिलकर सरकार पर दबाव बनाना चाहिए कि गरीब परिवारों को अगले छह महीने तक आठ हजार रुपये प्रतिमाह नकद दिया जाए। आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा भी है कि सरकार 65 हजार करोड़ से गरीबों की मदद कर सकती है। राशन कार्ड नहीं भी तो भी प्रत्येक परिवार को खाद्यान्न दिया जाए। तेजस्वी ने श्रम कानूनों में बदलाव के प्रयासों का भी विरोध किया और कहा कि संसद में चर्चा किए बिना यह असंवैधानिक है। पूर्व सीएम जीतन राम मांझी ने कहा कि सरकार, किसान और मजदूरों को राहत पहुंचाने के लिए अलग फंड बनाए। सरकार, देश के विभिन्न हिस्सों में फंसे प्रवासियों को उनके घरों तक सुरक्षित पहुंचाने में विफल साबित हुई। ऐसे में विपक्षी दलों की जवाबदेही बनती है कि वह लोगों तक खाने का सामान पहुंचाएं और और संभव हो तो उनको उनके घरों तक लाने की व्यवस्था करें। केन्द्र सरकार द्वारा बिहार के लिए घोषित आर्थिक पैकेज के लिए हमें मिलकर संघर्ष करना होगा। वीआईपी सुप्रीमो मुकेश सहनी इस मीटिंग में शामिल नहीं हो पाए। उनका लिंक कनेक्ट नहीं हो पाया।
