सरकार टाना भगतों की मांगों को क्यों पूरा नहीं करती ,टाना भगतों के आंदोलन के कारण रेलवे और राज्य सरकार को 100 करोड़ से अधिक का घाटा

Jharkhand झारखण्ड राजनीति

लातेहार से शंकर यादव की रिपोर्टः-
लातेहार: आखिरकार झारखंड सरकार टाना भगतो की मांगों को क्यों नहीं मानती जब उनके लिये सरकार बड़ी-बड़ी घोषणायेंक रने से बाज नहीं आती तो ऐसे में टाना भगतों के आंदोलन से झज्ञरखंड की छवि पूरे देश में खराब होती है ही वहीं टाना भगतो ंके आंदोलन से सरकार को राजस्व का भी नुकसान झेलना पड़ता है। हाल ही में टाना भगतो ने अपनी चार सूत्री मांगों को लेकर आंदेालन करते हुए टोरी रेल लाइन को जाम कर दिया थाा जिसे करोड़ेंा के राजस्व का नुकसान झेलना पड़ा है। टोरी स्टेशन पर चल रहा टाना भगतों का आंदोलन रेलवे को बड़ा झटका दे रहा था। इस आंदोलन से हर घंटे रेलवे को दो करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा था। उनके आंदोलन के 55 घंटे में रेलवे को करीब 100 करोड़ रुपए का नुकसान हो चुका है। रेलवे सूत्रों के अनुसार सीआईसी सेक्शन अंतर्गत बरकाकाना.बरवाडीह रेलखंड से हर घंटे औसतन कोयला लदी मालगाडियों का दो रेक गुजरता है। कोयला लेकर जानेवाले मालगाड़ी के एक रेल से रेलवे को करीब एक करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त होता है। इस रेल मार्ग से प्रतिदिन 24 घंटे में कोयला लेकर 50 से अधिक मालगाडियों का रेक गुजरता है। लातेहार जिले के बालूमाथ व बुकरू, चतरा के शिवपुर, रांची के खलारी तथा रामगढ़ के कुजू कोलियरी से कोयला लेकर मालगाडियों का रेक इस रेलमार्ग से गुजरता है।इससे पहले विधायक ने जिद पर अड़े टाना भगतों को मीठी चेतावनी देते हुए कहा था कि आप सभी अहिंसा के पुजारी हैं इसलिए सरकार व जिला प्रशासन के धैर्य की परीक्षा न लें। इतिहास इस बात का गवाह रहा है कि जब रावण से युद्ध के लिए जा रही भगवान श्रीराम की सेना को जब काफी अनुनय विनय के बाद भी समुद्र ने रास्ता नहीं दिया तो भगवान को धनुष उठाना पड़ा था।
टाना भगतों के पास पहुंचे लातेहार के पुलिस कप्तान प्रशांत आनंद ने कहा था कि वह पढ़ाई के दौरान टाना भगत का इतिहास पढ़े थे। आपकी आंदोलन को दबाना या किसी को नुकसान पहुंचाना कभी हमारा लक्ष्य नहीं है। विधायक वैद्यनाथ राम ने कहा कि वे सरकार के दूत बनकर उनके पास पहुंचे हैं। उनकी बातों को वे सरकार तक पहुंचाएंगे। इस बीच भीड़ से आई आवाज पर विधायक ने कहा कि खनिज है तो जमीन से निकलेगा ही। यहां कोयला की दलाली करनेवाले ना आएं। अपनी राजनीति के लिए भोले भाले टाना भगत समुदाय के लोगों को ना भरमाएं।
जामकर्ता राज्यपाल को बुलाने की मांग पर अड़े थे। टाना भक्तों ने कहा था कि जो उनकी मांगों को पूरा करने के लिए जो सक्षम अधिकारी या नेता है वे ही हमारे पास आएं। अन्यथा खुद का समय खराब नहीं करें। अपनी मांगों को पर राज्यपाल के हस्ताक्षर युक्त प्रति की मांग कर रहे थे। टाना भगतों के आंदोलन को झारखंड सरकार ने पुलिसिया कार्रवाई करके थेड़े समय के लिये समाप्त तो करा हदिया है लेकिन सरकार को इसका स्थायी समाधान ढ़ूढ़ना पड़ेगा। नही ंतो ऐसे में फिर से टाना भगत आंदोलन के लिये विवश होंगे।

टाना भगतों ने अपनी मांगों से अवगत कराते हुए कहा कि कोल परियोजना को बंद किया जाएए क्योंकि झारखंड का खजाना बाहर भेजा रहा है। यहां के लोग कंगाल और बाहरी लोग मालामाल हो रहे हैं। टाना भगत भूमि पट्टा और टाना पेंशन की मांग कर रहे हैं। अखिल भारतीय राष्ट्रीय स्वतंत्रता सेनानी नीति टाना भगत समुदाय छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम 1947 की धारा 145 एजेंसी दफा 811 के तहत छोटानागपुर भूमि का मालिक एवं लगान पाने वाले टाना भगत खंड 123 उरांव मुंडा हैं। टाना भगत समुदाय राष्ट्रीय धरोहर हैं। आजादी के 73 वर्ष बाद भी अपने हक के लिए हम आंदोलन कर रहे हैं। जमीन के लिए रांचीए हजारीबागए पलामूए सिंहभूम जिले के सभी टाना भगतों ने सर्वसम्मति से टोरी स्टेशन में धरना देकर रेल चक्का जाम का कार्यक्रम रखा था।

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