गठबंधन पर राजद व झामुमो में नहीं बनी बात, झामुमो प्रवक्‍ता बोले- राजद ने राजनीतिक मक्कारी की, वहीं राजद की ओर से भी दिया गया जवाब

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मुखर संवाद के लिये अशोक कुमार और विशु विशाल की रिपोर्टः-
रांची: बिहार विधानसभा चुनाव में राजद और झामुमो के बीच तल्खी बढ़ गयी है। झामुमो ने अपने दायरे से बाहर जाकर राजद को मक्कार तक कह डाला। वही राजद ने भी पलटवार किया है। बिहार विधानसभा चुनाव में लालू यादव की पार्टी राजद और झारखंड मुक्ति मोर्चा के बीच गठबंधन पर सहमति नही बनी। झामुमो ने आरोप लगाते हुए कहा कि राजद ने राजनीतिक मक्कारी की है। झामुमो प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा है कि हमें किसी से खैरात की जरूरत नहीं है। झामुमो ने बिहार में 12 सीटों पर दावेदारी की थी। लेकिन राजद ने सीटें देने से इन्कार कर दिया। झामुमो प्रवक्‍ता ने कहा कि राजद राजनीतिक शिष्टाचार भूल गया है। सुप्रीयो ने कहा है कि पिछले लोकसभा और विधानसभा चुनाव में झारखंड में राजद को राजनीतिक हैसियत से ज्यादा टिकट दी। सुप्रीयो भट्टाचार्य ने कहा कि झामुमो बिहार में झाझा, चकाई, कटोरिया, धमदाहा, मनिहारी, पीरपैंती और नाथनगर विधानसभा सीट पर अपना उम्मीदवार देगा। झामुमो ने कहा कि अब बातचीत के दरवाजे बंद हो गए हैं। अब झामुमो के कड़े रूख का असर झारखंड में पड़ सकता है। अलग-थलग राजद पड़ सकता है। राजद अपने कोटे से झामुमो को सीटें देगा। कुछ दिनों पूर्व झारखंड के मुख्‍यमंत्री हेमंत सोरेन ने रांची के केली बंगले में रह रहे राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव से इसे लेकर मुलाकात की थी। झामुमो ने कुछ क्षेत्रो में जनाधार का हवाला देते हुए शुरुआत में 12 सीटों पर दावेदारी की थी, लेकिन राष्ट्रीय जनता दल के आलाकमान इतनी सीटें देने को तैयार नहीं नजर आया। वहीं राजद की ओर से भी करारा हमला किया गया है।
झारखंड युवा राजद के प्रदेश अध्यक्ष रंजन कुमार ने कहा है कि ‘‘ राजद ने झारखंड में झामुमो के लिये बड़ी कुर्बानी दी है। राजद के वोट बैंक के सहारे ही झामुमो ने गढ़वा, लातेहार सहित कई सीटों पर विजय पायी है। राजद का पलामू और संथाल के इलाके में अपना जनाधार है जिसका लाभ विधानसभा चुनाव में झामुमो ने उठाया है। झामुमो अपनी हैसियत से ज्यादा ही बयानबाजी दे रहा है। लालू प्रसाद यादव की ओर से बनाये गये महागठबंधन के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन है उनको अकेले जनाधार नहीं मिला। हमारे जनाधार वाली सीटों पर चुनाव लड़कर झामुमो राजद को कमजोर समझने की भूल कभी नहीं करें। बिहार में झामुमो का अपना चुनाव चिन्ह भी नहीं है तो किस हैसियत से झामुमारे अपने प्रत्याशी उतारेगा। सुप्रीयो भट्टाचार्य कोई जनाधार वाले नेता भी नहीं है जो अपनी हैसियत से ज्यादा बोल रहे हैं। राजनीति में जो लोग जनता के बीच नहीं होते वहीं बयानबहादुर होते हैं। गठबंधन पर अब भी फैसला राजद और झामुमो का र्शीर्ष नेतृत्व ही लेगा। ‘‘
झामुमो की नजर बिहार विधानसभा की अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीटों पर है। इसके अलावा वह सामान्य सीटें भी पसंदीदा हैं, जो झारखंड की सीमा से सटी हैं। इनमें तारापुर, कटोरिया (एसटी), मनिहारी (एसटी), झाझा, बांका, ठाकुरगंज, रूपौली, रामपुर, बनमनखी, जमालपुर, पीरपैंती और चकाई शामिल है। हेमंत सोरेन ने सीटों के बंटवारे को लेकर लालू के पुत्र तेजस्वी यादव से भी मुलाकात की थी। झारखंड की महागठबंधन सरकार में एक सीट पर जीत हासिल करने के बावजूद राजद के विधायक को मंत्रिमंडल में स्थान दिया गया है। झामुमो को उम्‍मीद थी कि कम से कम इसी आधार पर राजद उसे बिहार चुनाव में सीटें देगा। लेकिन अब ऐसा नहीं होने पर झारखंड में भी गठबंधन पर खतरा बन गया है।

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