

मुखर संवाद के लिये शिल्पी यादव की रिपोर्टः-
रांची : जल जनित समस्या आज विश्व की सबसे बड़ी चुनौती बनती जा रही है। ये बातें सरला बिरला विश्वविद्यालय के फैकल्टी ऑफ इंजीनियरिंग एंड अप्लाइड साइंस द्वारा इंटीग्रेटेड नेचुरल एंड वाटर रिसोर्सेस मैनेजमेंट बेस्ड ऑन वाटरशेड स्केल मैनेजमेंट टॉपिक पर आयोजित वेबीनार में मिसिसिपी वाटरशेड मैनेजमेंट ऑर्गेनाइजेशन मिनिसोटा, अमेरिका के वाटर रिसोर्स डायरेक्टर डॉ. उदय भान सिंह ने अपने व्याख्यान में कही। शुद्ध जल संसाधन के स्रोत सीमित हैं। जल संकट वैश्विक विभीषिका बनती जा रही है। इस वैश्विक विभीषिका से निपटने के लिए वैज्ञानिक व योजनाबद्ध तरीके से कार्य करने की आवश्यकता है। जल जनित समस्या आज विश्व की सबसे बड़ी चुनौती बनती जा रही है। उन्होंने कहा कि सभी के सामूहिक प्रयास एवं विवेकपूर्ण उपयोग के वैज्ञानिक तौर तरीकों के द्वारा ही इस चुनौती का सामना किया जा सकता है।
उन्होंने जल की आवश्यकता, उपयोगिता, उसके वितरण तथा प्रदूषण के कारकों पर चर्चा की एवं उसके निदान के सभी महत्वपूर्ण पहलुओं पर सविस्तार प्रकाश डाला। वेबीनार में उन्होंने संदेश दिया है कि लोगों के जानकार होते हुए भी योजना एवं विजन की कमी के कारण जल में अशुद्धियां बढ़ती जा रही हैं जिसके कारण जीवन पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। हमें आने वाली पीढ़ियों को इस वैश्विक चुनौतियों से अवश्य अवगत कराना होगा। इस वेबिनार में मिनिसोटा विश्वविद्यालय अमेरिका के डिपार्टमेंट ऑफ फॉरेस्ट रिसोर्स के प्रोफ़ेसर एंड्रेव जेंक्स ने ब्रीफ इंस्ट्रक्शन ऑन जीआईएस स्किल्स फॉर हायर लेवल इंटीग्रेटेड वर्क टॉपिक पर व्याख्यान देते हुए उन्होंने जीआईएस को डाटा कलेक्शन का एक महत्वपूर्ण साधन बताया जिसका प्रयोग भिन्न-भिन्न क्षेत्र जैसे सेटेलाइट, ड्रोन, एरोप्लेन इत्यादि में किया जाता है। जीआईएस के द्वारा क्लेक्टेड डाटा के माध्यम से विभिन्न प्रकार के शोध, रिसर्च यथाः मिट्टी के कटाव, भूजल स्तर की जांच, जल की गुणवत्ता इत्यादि को परखने के लिए प्रयोग किया जाता है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर गोपाल पाठक ने अतिथियों का आभार प्रकट करते हुए कहा कि जीवन के लिए जल अति आवश्यक आवश्यकता में से एक है। लेकिन इसकी आपूर्ति के साधन सीमित हैं जबकि दिन प्रतिदिन इसकी मांग बढ़ती ही जा रही है। ऐसी स्थिति में वैज्ञानिक एवं विवेकपूर्ण तरीके से इसका समुचित संरक्षण व संवर्धन की नितांत आवश्यकता प्रतीत हो रही है।
विश्वविद्यालय के मुख्य कार्यकारी पदाधिकारी डॉ प्रदीप कुमार वर्मा ने कार्यक्रम की सराहना की है। वेबीनार में अतिथियों का स्वागत एवं ओवरऑल संचालन अप्लाइड साइंस एंड इंजीनियरिंग की सहायक प्राध्यापिका डॉ नित्या गर्ग ने किया तथा में धन्यवाद ज्ञापन सिविल इंजीनियरिंग की सहायक प्राध्यापिका डॉ. अदिति सिंह ने किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रोफ़ेसर विजय कुमार सिंह, प्रोफेसर श्रीधर बी डंडिन, डॉ सुबानी बाड़ा, डॉ पार्थ पॉल, डॉ राधा माधव झा, डॉ मनोज कुमार पाण्डेय, डॉ जीवा चिदम्बरम, प्रो अमित गुप्ता, डॉ भारद्वाज शुक्ल, अभिजीत चक्रवर्ती, दिलीप कुमार महतो सहित सभी प्राध्यापक एवम कर्मचारी तथा छात्र छात्रा उपस्थित थे।
