विपक्ष के हंगामे के बावजूद झारखंड प्रतियोगी परीक्षा में अनुचित साधनों की रोकथाम व निवारण के उपाय विधेयक 2023 विधानसभा से हुआ पारित

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मुखर संवाद के लिये अशोक कुमार की रिपोर्टः-
रांची: झारखंड विधानसभा में तमाम वाद विवाद चर्चा हंगामे के बावजूद झारखंड प्रतियोगी परीक्षा (भर्ती में अनुचित साधनों की रोकथाम व निवारण के उपाय) विधेयक 2023 को यथा संशोधन पास करा दिया गया। विपक्ष ने इस कानून को काला कानून बताया और इस विधेयक की तुलना ईस्ट इंडिया की रोलेट एक्ट से की विधेयक की गयी और विधेयक की कॉपी फाड़ी गई । लेकिन आखिरकार हंगामा के वावजूद इसे स्‍वीकृत कर लिया गया।
झारखंड प्रतियोगी परीक्षा (भर्ती में अनुचित साधनों की रोकथाम व निवारण के उपाय) विधेयक 2023 पर चर्चा शुरू हुई। विधायक विनोद सिंह ने इस विधेयक को प्रवर समिति में भेजने की मांग की। उन्होंने कहा कि इस विधेयक में यह स्पष्ट करना चाहिए कि कैसे किसी को चिह्नित करें। इसमें संगठित आपराधिक गिरोह अपराध करते हैं, छात्र तो शिकार होते हैं। इसे स्पष्ट किया जाना जरूरी है। छात्र परीक्षा केंद्र पर जाता है थोड़ा विलंब होने पर वाद-विवाद तो होता ही है। ऐसे में उस छात्र के भविष्य को देखते हुए इसमें संसोधन जरूरी है। विधायक अनंत ओझा ने इस विधेयक को काला कानून बताया। उन्होंने भी इसे प्रवर समिति में भेजने की मांग की।विधायक लंबोदर महतो ने कहा कि 40 प्रतिशत छात्र गरीब व ग्रामीण क्षेत्र से आते हैं। धान बेचकर फॉर्म भरते हैं। गरीब छात्र-छात्राएं जाने-अनजाने में पदाधिकारियों के षड्यंत्र में फंसे, तो उनका करियर खत्म हो जाएगा। यह काला कानून है। इसमें जांच नहीं, सीधे एफआईआर होगा, यह तो बहुत गलत है। इसमें जो धारा है उसमें सीधे जेल भेजने का प्राविधान किया गया है, जो बहुत ही गलत है। यह काला कानून है। संशोधन जरूरी है। प्रवर समिति को भेजा जाय।

विधायक लंबोदर महतो ने कहा कि जिसको बिहार सरकार ब्लैकलिस्ट कर चुकी, उससे जेपीएससी परीक्षा का संचालन करवा रही है। यह कहां तक उचित है। विधायक अमर बाउरी ने कहा कि इस विधेयक के लागू होने से जेपीएससी- जेएसएससी कुछ भी करे, कोई अंगुली नहीं उठाएगा। जो उठाएगा जेल में सड़ेगा। इससे छात्र छात्राओं का करियर बर्बाद होगा। विधायक नवीन जायसवाल ने कहा कि यह हड़बड़ी में लाया हुआ विधेयक है। यह काला कानून लागू हुआ, तो इसके खिलाफ लाखों छात्र-छात्राएं सड़क पर उतरेंगे। विधायक अमित कुमार मंडल ने इस विधेयक की तुलना ईस्ट इंडिया की रोलेट एक्ट से किया और प्रवर समिति में भेजने की मांग की। विधायक प्रदीप यादव ने इस विधेयक को सही बताया, लेकिन इसके कुछ प्राविधानों को गंभीर बताते हुए सरकार को विचार करने की मांग की। कहा कि सजा और आर्थिक दंड छात्रों के साथ कठोर करवाई है। उन्‍होंने इसमें संसोधन की मांग की।
संसदीय कार्यमंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि कदाचार व अनियमितता को रोकने के लिए यह विधेयक सभा पटल पर लाया गया है। अभ्यर्थी के बदले दूसरा छात्र परीक्षा देता है। इस पर रोक लगाने के लिए। कदाचार मुक्त परीक्षा हो सके इसीलिए यह विधेयक लाया गया है। यह विधेयक केवल छात्र-छात्राओं के लिए नहीं, इसमें शामिल रैकेट को रोकने के लिए यह बिल लाया गया है। मंत्री ने कहा कि कोचिंग संस्थान, कदाचार में शामिल रैकेट को खत्म करने के लिए यह बिल लाया गया है। मंत्री के अनुसार बहुत विचार व मंथन के बाद यह बिल लाया गया है। इसे प्रवर समिति में न भेजकर, इसमें सजा कम होना चाहिए उस पर केवल विचार किया जा सकता है।

इसके बाद मुख्‍यमंत्री हेमंत सोरेन ने सदन को संबोधित किया, जिसके साथ ही विपक्ष ने हंगामा करना शुरू कर दिया। मुख्यमंत्री ने केंद्र के वनाधिकार कानून को राज्य सरकार के विरोध के बावजूद पारित कराने का मामला उठाया। इस दौरान आसन के सामने सत्ता पक्ष व विपक्ष के विधायक पहुंच गए। हालांकि, हंगामे के बीच ही उन्‍होंने अपनी बात जारी रखी। इस दौरान विपक्ष की ओर से काला कानून वापस लो कि लगातार नारेबाजी होती रही।झारखंड सरकार हाय हाय का नारा लग रहा था। अब सीएम ने झारखंड प्रतियोगी परीक्षा (भर्ती में अनुचित साधनों की रोकथाम व निवारण के उपाय) विधेयक 2023 पर अपनी बात रखते हुए सात साल की सजा को तीन साल व तीन साल की सजा वाले प्राविधान को एक साल करने का आश्वासन दिया। इस पर विपक्ष ने विधेयक की कॉपी फाड़कर सदन में लहराया। फिर विधेयक की कॉपी फाड़ने के बाद विपक्ष के विधायकों ने सदन का बहिष्कार किया। मुख्‍यमंत्री हेमंत सोरेन कहते रहे कि 20 साल तक विपक्ष सत्ता में रहा। नौजवानों को ठगा। अब जब नौकरियां आ रहीं हैं, तो विपक्ष के पेट मे दर्द हो रहा है। इसीलिए ये विरोध कर रहे हैं। भाजपा के विधायक अमित मंडल, शशिभूषण मेहता, अमर बाउरी और नवीन जायसवाल ने विधेयक को फाड़ा था। बहरहाल, वाद विवाद, चर्चा, हंगामे के बावजूद यह विधेयक विधानसभा से यथा संशोधन स्वीकृत हो गया।

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