
मुखर संवाद के लिये अशोक कुमार की रिपोर्टः-
रांची: बंगाली दादा ने फिर से उलजलूल विषय को लेकर प्रेस कांफ्रेंस कर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को रिझाने का प्रयास कर रहे हैं। राज्य की जनता ने इंडिया गठबंधन को अपना आर्शिवाद दिया है तो बंगाली दादा ने झट से मौका पाकर प्रेस कांफ्रेंस कर हेमंत सोरेन के प्रशंसा में कसीदे गढ़कर खुद के लिये राज्य समन्वय समिति में स्थान पाने की जुगत में भिड़ गये हैं और अपनी पत्नी को जेपीएससी का सदस्य से अघ्यक्ष बनाने में लग गये हैं। बंगाली दादा अगर चापलूसी नहीं करेंगें तो कैसे उनकी दाल गलेगी !
बंगाली दादा ने कहा है कि झारखंड के इस प्रचंड विजयी के साथ हमारे नेता हेमंत सोरेन के नेतृत्व में 28 नवंबर को मोरहाबादी मैदान में आयोजित शपथ ग्रहण समारोह में नई सरकार का गठन करेंगे। बंगाली दादा यह बात तो पूरी दुनिया को पता है तो प्रेस कांफ्रेंस करने की जरूरतक्या थी ? श्रभ् दादा ने कहा कि इस शपथ ग्रहण समारोह के लिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, असम के मुख्यमंत्री हिमंता विससरमा को निमंत्रण पत्र भेंजेंगे, वे हमारे मुख्य अतिथि होंगे। उन्होंने कहा कि इस विजयी का परिनाम दूसरे राजनीतिक प्रतिद्वंदी में हुआ है, जिसे वे पचा नहीं पा रहे हैं। यहां भोले भाले आदिवासियों को अपना नेतृत्व थोपना उन्हें महंगा साबित हुआ। बंगाली दादा यादवों को पत्रकारिता नहीं करने की नसीहत देते हुए दूध बेचने की नसीहत देते हैं और दूसरे को घृणा नहीं फैलाने की बात कहते हैं जो पूरी तरह से झूठ ही प्रतीत हो रहा है। श्री दादा ने कहा है कि हम लोग आपस में सौहार्दपूर्ण वातावरण में चुनाव लड़ते हैं, घिृणा की भाषा बहुत चिंताजनक है। जहां सबसे अधिक जहर उगला, वहां उनका सूपड़ा साफ हो गया, वह सोमवार को हरमू स्थित पार्टी कार्यालय में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि एक सोचा समझा प्रयास ना हो, यहां आदिवासी सीट है, हरिजन सीट है, उस पर प्रहार होने जा रहा है। इन्हें किसान, युवा, महिला, आदिवासी, हरिजन नहीं भाते हैं। लेकिन बंगाली दादा यादवों के खिलाफ आपने जो टिप्पणी सरेआम की उसका क्या होगा। श्री दादा ने कहा कि झारखंड विधानसभा में जो सीटे हैं, उसमे सीटें घटाई गई तो ठीक नहीं है। इनकी यही कोशिश है. हम इनके मनुवादी सोच को समझते हैं। लेकिन बंगाली दादा आपकी मनुवादी सोच का क्या होगा। अगर दलित बिरादरी का कोई व्यक्ति आपके प्रेस कांफ्रेंस में आ जाये तो आप तो उसकों अपने चप्पल सिलने के लिये कह देंगे। श्रभ् दादा ने कहा है कि इनका पूरा प्रहार फिर से शुरू होगा।
यहां के आदिवासी-मूलवासी में धर्म-जाति के नाम पर दरार पैदा करना.। यह गंभीर विषय है, क्योंकि संसद का सत्र शुरू होने वाला है। बंगाली दादा का अपना काम ही है जाती धर्म में विभेद करना । क्योंकि जब यादव पत्रकारों को बंगाली दादा ने दूध बेचने की सलाह दी है तो अब दलित बिरादरी से आनेवाले पत्रकारों को मैला ढ़ोने के लिये भी कह देंगें। और खुद ऐसी मानसिकता हो जिसकी वह दूसरों पर लांक्षण लगाये तो क्या कहा जाये। बंगाली दादा ने कहा कि जो लोग विपक्ष में होंगे उनका भी दायित्व है, सकारात्मक विपक्ष की भूमिका निभाये, लंबित विकास योजनाओं को केंद्र तक पहुंचाने में मदद करें, जेएलकेएम के एक नेता पर विश्वास है, वे सरकार के साथ चलें। जेएलकेएम के नेता जयराम महतो ने आपकी सरकार बनाने में काफी मदद की है तो उनको तो उलांहना मत दीजिये। क्योंकि बंगाली दादा की आदत तो सौती की खींज कठौती पर निकालने की है। मांडू से जन प्रतिनिधि चुने गये, जो दूसरों को रोजगार देने की बात करते थे, वे खुद बेरोजगार हो गये। केवल नारा देकर लोगों को बेवकूफ नहीं बना सकते हैं।
