सुप्रीम कोर्ट ने भाजपा को नेता प्रतिपक्ष चुने के लिए 15 दिनों का दिया समय

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मुख्य संवाद के लिए प्रमिला यादव की रिपोर्ट
नई दिल्ली: झारखंड के बीजेपी को सुप्रीम कोर्ट में नेता प्रतिपक्ष चुन्नी का 2 सप्ताह का समय देकर उसके लिए बढ़ा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड में मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों के रिक्त पदों पर नियुक्ति से संबंधित याचिका पर सुनवाई करते हुए अहम निर्देश जारी किए हैं। सुनवाई के दौरान राज्य की सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि राज्य में नेता प्रतिपक्ष नहीं होने की वजह से सूचना आयोग में नियुक्ति पर निर्णय लेने वाली सेलेक्शन कमेटी की बैठक नहीं हो पाई है। राज्य मैं पिछली बार भी नेता प्रतिपक्ष चुने में बीजेपी ने काफी देरी कर दी थी। काफी देर के बाद भाजपा ने जब बाबूलाल मरांडी को नेता प्रतिपक्ष चुनाव तो उन्हें दल बदल कानून के कारण मानता नहीं मिल पाई। पिछले विधानसभा में भी नेता प्रतिपक्ष को लेकर हमेशा ही वह आपको की स्थिति बनी रही। नेता प्रतिपक्ष को लेकर जिस तरह के सवाल लगातार झारखंड में उठाते रहे उसके बाद यह अलग दिल लगा कि झारखंड में बीजेपी ने झारखंड मुक्ति मोर्चा कांग्रेस और राजद को खेलने के लिए क्लीन फील्ड दे दी है।
नेता प्रतिपक्ष इस कमेटी के सदस्य होते हैं, लेकिन फिलहाल राज्य विधानसभा में यह स्थान रिक्त है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश जारी किया है कि झारखंड विधानसभा की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी अपने किसी निर्वाचित सदस्य को इस कमेटी के लिए विपक्ष के नेता के तौर पर नॉमिनेट करे।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्देश में कहा है कि सूचना आयोग में नियुक्ति पर निर्णय लेने वाली सेलेक्शन कमेटी के लिए विपक्ष के नेता को नॉमिनेट करने की प्रक्रिया दो सप्ताह में पूरी की जानी चाहिए। सेलेक्शन कमेटी इसके तुरंत बाद मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू करेगी। सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ ने झारखंड के मुख्य सचिव आदेश के अनुपालन को लेकर हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है।

इस याचिका पर पूर्व में हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड के मुख्य सचिव को निर्देश दिया था कि वे सुनिश्चित करें कि सूचना आयुक्तों की नियुक्ति की प्रक्रिया चार सप्ताह के भीतर शुरू हो और इस निर्देश के अनुपालन का हलफनामा दायर किया जाए। झारखंड सरकार के वकील ने दलील दी थी कि चयन समिति में अपेक्षित कोरम का अभाव था और इस वजह से झारखंड में सूचना आयुक्तों की नियुक्तियां नहीं की जा सकी हैं।

अब सरकार की ओर से कोर्ट में दाखिल पूरक हलफनामे में बताया गया है कि सूचना आयोग में नियुक्तियों के लिए जून 2024 को एक विज्ञापन दिया गया था, लेकिन झारखंड विधानसभा चुनाव के बाद नेता प्रतिपक्ष की घोषणा नहीं की जा सकी है।

दूसरी तरफ याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया है कि झारखंड में वर्ष 2020 से राज्य सूचना आयोग निष्क्रिय है। मुख्य सूचना आयुक्त, सूचना आयुक्त सहित कई पद रिक्त हैं। इस वजह से आरटीआई से संबंधित हजारों केस पेंडिंग हो गए हैं।

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