मणिपुर में हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही, असम राइफल के शिविर को भीड ने जलाया

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मुखर संवाद के लिये मनोहर थापा की रिपोर्टः-
इंफाल: केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार मणिपुर में हिंसा को रोकने में विफल साबित हो रही है। केन्द्र और मणिपुर में बीजेपी की सरकार होने के वावजूद मणिपुर पिछले दो वर्षो से जातीय हिंसा की चपेट में है लेकिन कोई कारगर कदम नहीं उठाया जा रहा है जिससे हिंसा को पूरी तरह से रोका जा सके। मणिपुर के कामजोंग जिले में शनिवार को भीड़ ने असम राइफल्स के अस्थायी शिविर पर धावा बोल दिया और उसे ध्वस्त कर दिया। भीड़ ने लकड़ी परिवहन पर प्रतिबंध और उत्पीड़न को लेकर यह कदम उठाया है। होंगबेई क्षेत्र में शिविर पर हमला करने वाले लोग नगा बहुल जिले के कासोम खुल्लेन ब्लॉक के थे। अधिकारियों ने बताया कि कासोम खुल्लेन में आवास निर्माण के लिए जा रही लकड़ी असम राइफल्स के जवानों ने रोक दी जिससे तनाव पैदा हो गया। प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए असम राइफल्स कर्मियों ने आंसू गैस के गोले का प्रयोग किया और हवाई फायर किए। भीड़ ने अर्धसैनिक बल को क्षेत्र से हटाने की मांग की। इस घटना में कोई हताहत नहीं हुआ है।
मणिपुर के जिरिबाम जिले में प्रतिबंधित संगठन हमार पीपुल्स कन्वेशन (डेमोक्रेटिक) के एक उग्रवादी को गिरफ्तार किया गया है। उग्रवादी के पास से विस्फोटक सामग्री बरामद की गई है।

पुलिस और असम राइफल्स की संयुक्त टीम ने तुइसोलेन गांव के समीप गुरुवार को उग्रवादी को पकड़ा। उसके पास से 12 विस्फोटक स्टिक, 11 डेटोनेटर, एक मीटर सेफ्टी फ्यूज और 44 साबुन के डिब्बे बरामद किए गए। साबुन के डिब्बों में 457 ग्राम ब्राउन शुगर होने का संदेह है।
मणिपुर के कांगपोकपी जिले के दो पड़ोसी गांवों में शनिवार को अशांति और हिंसा बढ़ने की आशंका के मद्देनजर कर्फ्यू लगा दिया गया। जिला प्रशासन के अधिकारियों ने एक आदेश में कहा कि कांगचुप गेलजांग उप-मंडल के अंतर्गत कोंसाखुल और लीलोन वैफेई गांवों में शांति भंग होने की आशंका है। अगले आदेश तक दोनों गांवों में और उसके आसपास लोगों की आवाजाही पर रोक लगा दी गई है।कुछ दिन पहले एक गांव के कुकी युवकों ने दूसरे गांव की नगा महिला पर कथित तौर पर हमला किया था। इसके बाद से ही दोनों गांवों के बीच तनाव चल रहा है। मणिपुर कुकी और मैतेई समुदायों के बीच जातीय हिंसा की चपेट में है, जिसमें मई 2023 से अभ तक 250 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं और हजारों बेघर हो चुके हैं।

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