
मुखर संवाद के लिये शिल्पी यादव की रिपोर्टः-
रांची: झारखंड के शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन ने ग्राम प्रधान से कैबिनेट मंत्री तक का सफर पूरा किया। पूरे राजनीतिक जीवन में उनकी पहचान राजनेता के रूप में कम, आंदोलनकारी और समाजसेवी के रूप में ज्यादा रही। 44 साल से अधिक उनका राजनीतिक जीवन रहा। झारखंड के शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन इस दुनिया में नहीं रहे. 62 साल की उम्र में उन्होंने दिल्ली के एक निजी अस्पताल में अंतिम सांस ली. झारखंड मुक्ति मोर्चा के बड़े नेता रामदास सोरेन सरल, सहज और सामाजिक व्यक्ति थे. 1980 में झामुमो से जुड़े. अपने 44 साल के राजनीतिक जीवन में उन्होंने ग्राम प्रधान से कैबिनेट मंत्री तक का सफर तय किया. उनका राजनीतिक जीवन काफी संघर्षपूर्ण रहा. स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त 2025 को उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया.रामदास सोरेन ने एक राजनेता से कहीं ज्यादा समाजसेवी और आंदोलनकारी के रूप में अपनी छवि बनायी थी. झारखंड आंदोलन के दौरान शिबू सोरेन, चंपाई सोरेन, सुनील महतो, सुधीर महतो, अर्जुन मुंडा के साथ उन्होंने काफी संघर्ष किया. उनके नाम का बॉडी वारंट तक निकाला गया था.
वे 30 अगस्त 2024 को पहली बार जल संसाधन व उच्च शिक्षा तकनीकी मंत्री बने थे. ढाई माह तक मंत्री रहे. 2024 में हुए झारखंड विधानसभा चुनाव में तीसरी बार घाटशिला से विधायक चुने गये. इसके बाद उन्हें दोबारा कैबिनेट मंत्री बनाया गया. उन्हें स्कूली शिक्षा मंत्री की जिम्मवारी सौंपी गयी.मंत्री पद की शपथ लेने के बाद रामदास सोरेन ने दो टूक कहा था कि नयी सरकार जनहित में बेहतर काम करेगी. जमीन पर काम दिखने लगा है. आगे और बड़े निर्णय लिये जायेंगे. दोबारा कैबिनेट में जगह देने के लिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरन का आभार व्यक्त किया था. हालांकि, वह टर्म पूरा नहीं कर पाये और इस दुनिया से चल बसे. उनके निधन से घाटशिला विधानसभा क्षेत्र की बड़ी आबादी मर्माहत है. रामदास सोरेन झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन और कोल्हान टाइगर चंपाई सोरेन के बेहद करीबी थे. सभी ने मिलकर अलग झारखंड राज्य के लिए आंदोलन किया था.
