

सुप्रीम कोर्ट से टक्कर लेने के मूड में हैं कनार्टक विधानसभाध्यक्ष बंेगलूरू: कर्नाटक के नाटक में अब कांग्रेस और बीजेपी ही नहीं बल्कि स्ंावैेधानिक संस्थाओं का टकराव होता हुआ दिखायी दे रहा है। कर्नाटक के नाटक में सुप्रीम कोर्ट को कर्नाटक के विधानसभाध्यक्ष रमेश कुमार ने चुनौती देकर यह साबित कर दिया कि विधानसभा के अंदर होनेवाली कार्यवाही में सुप्रीम कोर्ट को भी दखल देने का अधिकार नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक संकट के सिलसिले में दाखिल तीन याचिकाओं पर शुक्रवार को एक साथ सुनवाई की। अदालत ने सभी याचिकाओं पर यथास्थिति बनाए रखने के आदेश दिए। साथ ही कर्नाटक विधानसभा अध्यक्ष को बागी विधायकों के इस्तीफों पर फैसला लेने के लिए मंगलवार तक की मोहलत दे दी। शीर्ष अदालत अब मंगलवार को इस मामले में सुनवाई करेगी। अदालत के आदेश से साफ है कि विधानसभा स्पीकर न तो बागी विधायकों के इस्तीफे पर फैसला लेंगे और ना ही उन्हें अयोग्य करार दे पाएंगे। पहली याचिका 10 बागी विधायकों की ओर से, दूसरी कर्नाटक विधानसभा अध्यक्ष की ओर से जबकि तीसरी यूथ कांग्रेस के नेता और वकील अनिल चाको जोसेफ की ओर से डाली गई है। सुनवाई के दौरान सर्वोच्च अदालत ने कुछ तल्ख सवाल भी पूछे। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने विधानसभा अध्यक्ष की ओर से पेश हुए वकील अभिषेक मनु सिंघवी से पूछा कि क्या स्पीकर के पास सुप्रीम कोर्ट के आदेश को भी चुनौती देने की शक्ति है। दरअसल, विधानसभा अध्यक्ष की ओर से इस्तीफों पर फैसले लेने के लिए और ज्यादा वक्त दिए जाने की मांग करते हुए सिंघवी ने कहा कि इस्तीफा देने वाले विधायकों का इरादा कुछ अलग है, यह अयोग्यता से बचने के लिए है। उन्होंने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष जबतक संतुष्ट नहीं होंगे कि इस्तीफे बिना किसी दबाव के विधायकों की मर्जी से दिए गए हैं तब तक वह फैसला नहीं ले सकते हैं। इस दलील के पक्ष में उन्होंने आर्टिकल 190 का भी हवाला दिया। बागी विधायकों की ओर से वरिष्ठ वकील और पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष जानबूझकर इस्तीफों पर फैसला लेने में देरी कर रहे हैं। कुछ खास परिस्थितियों को छोड़ दें तो विधानसभा अध्यक्ष सुप्रीम कोर्ट के प्रति जवाबदेह हैं। उन्हें कुछ ही मामलों में छूट हासिल है। जहां तक विधायकों के इस्तीफे का सवाल है कि तो इस मामले में उन्हें किसी तरह छूट नहीं है। बागी विधायकों की ओर से अदालत से यह मांग की गई कि वह विधानसभा अध्यक्ष को निर्देश दे कि उनके इस्तीफे स्वीकार किए जाएं। इससे पहले विधानसभा अध्यक्ष ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट के आदेश की परवाह नहीं करते हुए तत्काल फैसला लेने से इनकार कर दिया था। उन्होंने कहा था कि उनसे यह उम्मीद नहीं की जानी चाहिए कि वह बिजली की गति से काम करेंगे। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 10 बागी विधायकों को शाम 6 बजे तक स्पीकर के सामने पेश होने का निर्देश दिया था। इसके बाद कर्नाटक के बागी विधायक विधानसभा अध्यक्ष केआर रमेश कुमार के समक्ष पेश हुए थे। इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष की ओर से कहा गया कि जिन विधायकों के इस्तीफे निर्धारित प्रारूप में नहीं थे, वे अब सही प्रारूप में प्राप्त हो गए हैं। कर्नाटक में सरकार बचाने-गिराने का सियासी ड्रामा कल सुप्रीम कोर्ट में गूंजता रहा। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच ने बागी िवधायकों की याचिका पर सुनवाई करते हुए स्पीकर रमेश कुमार से कहा कि वह रात 12 बजे तक बागी विधायकों के इस्तीफों पर फैसला लें। फिर इसकी जानकारी शुक्रवार सुबह कोर्ट को दें। इसके चंद घंटों के बाद ही स्पीकर रमेश भी सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए। उन्होंने अपनी याचिका में कहा कि कोर्ट को ऐसे आदेश देने का अधिकार नहीं है। हालांकि कोर्ट ने उनकी याचिका पर तुरंत सुनवाई से इनकार कर दिया। शीर्ष कोर्ट के आदेश के बाद गुरुवार शाम बागी विधायक मुंबई से बेंगलुरू पहुंचे और कड़ी सुरक्षा के बीच स्पीकर से मिले। हालांकि स्पीकर ने उनके इस्तीफे स्वीकार नहीं किए। कहा- वे देखेंगे कि इस्तीफे किसी दबाव में तो नहीं दिए गए। 16 बागी विधायकों के इस्तीफे स्वीकार होते ही कांग्रेस-जेडीएस का आंकड़ा 100 पर सिमट जाएगा। सरकार गिर जाएगी। भाजपा और सहयोगियों का आंकड़ा 107 हो जाएगा। ऐसे में भाजपा फ्लोर टेस्ट का प्रस्ताव ला सकती है।
