

झारखंड में झुमरा के नाम सुनते ही सभी के जेहन में नक्सलियों का खौफ मन में समा जाता है। लेकिन इस लोकसभ चुनाव में झुमरा के मतदाताओं ने नक्सली खौफ से बाहर आकर मतदान किया है। कभी नक्सलियों की ट्रेनिंग के लिए कुख्यात झुमरा गांव और इसके आसपास के गांव-टोलों में लोकतंत्र के महापर्व लोकसभा चुनाव का जबर्दस्त उत्साह देखा जा रहा है. सुबह साढ़े छह बजे से ही झुमरा जोन के बूथों पर वोटर्स पहुंचने लगे थे. झुमरा गांव स्थित एकमात्र बूथ संख्या 44 पर मतदाताओं की भारी भीड़ उमड़ी हुई थी. सुबह 10 बजे तक इस बूथ में 30 फीसदी मतदान हो चुका था. यहां कुल 709 वोटर्स हैं. इस बूथ पर जमीन से 13 किमी ऊपर पहाड़ पर झुमरा गांव और इसके विहंगम टोले सिमराबेड़ा, सुअरकटवा, बलथरवा, मुर्गा टोला व जमनीजारा के मतदाता अपने मत का प्रयोग करते हैं. सिमराबेड़ा, सुअरकटवा और बलथरवा झुमरा से 3 से 5 किमी दूर हैं. लेकिन, कड़ी धूप और दुर्गम रास्ते भी मतदाताओं के जोश को कम नहीं कर सके. इसी प्रकार, झुमरा के रहावन स्थित बूथ संख्या 40, 41 व पचमो के 42, 43 में भारी संख्या में मतदाता वोट डालने के लिए लंबी-लंबी कतारों में खड़े हैं.
लुगू की तलहटी में बसे गांवों में भी ग्रामीण मतदाताओं में गजब का उत्साह दिख रहा है. तिलैया के बूथ संख्या 46, 47, खखंडा के बूथ संख्या 166, 167 सहित दनिया आदि के बूथों पर भी लोगों की लंबी-लंबी कतारें दिख रही है, जो बताता है कि लोकतंत्र के प्रति ग्रामीण मतदाताओं में कितना उत्साह है. झमरा के मतदाताओं ने शहरी मतदाताओं को इस चुनाव में बड़ी सीख दी है।
