
कुपोषण मुक्त झारखंड का जल्द होगा सपना साकार, 4 वर्षो में स्वस्थ झारखंड में अप्रत्याशित सफलता : लुईस मरांडी रांची : गरीबी उन्मूलन के 10 सूचकांकों पर झारखंड के बढ़ते कदम की यूनाइटेड नेशन की रिपोर्ट में की गई सराहना राज्य को सुखद एहसास करा रहा है । यह कहना गलत न होगा कि पोषण, स्वच्छता, बाल मृत्यु दर, शुद्ध पेयजल, स्कूलिंग, बिजली, स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति, आवास, कुकिंग ईंधन (गैस) और परिसंपत्तियों की उपलब्धता के मामले में झारखंड को विकसित राज्यों के समकक्ष लाने में सरकार की योजनाएं मील का पत्थर साबित हुई हैं। इसमें झारखंड सरकार की कल्याण और समाज कल्याण विभाग ने बड़ी भूमिका अदा की है। वित्तीय वर्ष 2005-06 से लेकर 2015-16 के बीच राज्य में 28.4 फीसद गरीबी का घटना इसकी बानगी है। ये कहना है झारखंड की समाज कल्याण मंत्री लुईस मरांडी का। लुईस मरांडी ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए दावा किया है कि उनकी सरकार ने अंतिम व्यक्ति तक सरकार की योजनाओं को पहुंचाकर गरीबी दर को पाटने की दिशा में सरकार ने तेज कदम जरूर बढ़ाया है। झारखंड सरकार का समाज कल्याण विभाग ने पिछले 4 वर्षो में कुपोषण को दूर करने में अप्रत्यााित रूप् से सफलता पाने के लिये कई महत्वपूर्ण कदम उठाये हैं जिसमें सफलत रहा है। झारखंड की रघुवर सरकार के समाजकल्याण विभाग ने कुपोषण के दंश को दूर करने के लिये काफी महत्वपूर्ण कदम उठाये हैं। झारखंड में कुपोषित बच्चाों की संख्या अप्रत्याशित रूप् से कम हुई है जिसे लेकर समाज कल्याण विभाग को प्रशंसा मिलनी ही चाहिये। 2015 में झारखंड में कुपोषित बच्चाों की संख्या 63187 थी जबकि 2019 में यह लगभग 75 प्रतिशत की कमी लाने में समाज कल्याण विभाग सफल रहा है। 2019 में कुपोषित बच्चों की संख्या झारखंड में केवल 19218 ही रह गयी है। कुपाषण से मुक्ति के लिये समाज कल्याण विभाग की ओर से पूरक पोषाहार कार्यक्रम के जरिये बच्चों , गर्भवती महिलाओं और धात्री महिलाओं को लाभान्वित करने का काम किया जा रहा है। महिला, बाल विकास और सामाजिक सुरक्षा विभाग की मंत्री डॉ लुईस मरांडी ने कहा कि महिलाओं, किशोर-किशोरियों और बच्चे-बच्चियों का संपूर्ण सशक्तिकरण सरकार की प्राथमिकता है. इस बाबत कई योजनाएं चल रही हैं, जिसका फायदा उन्हें मिल रहा है. महिला, बाल विकास और सामाजिक सुरक्षा विभाग की मंत्री डॉ लुईस मरांडी ने आज सूचना भवन में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में ये बातें कही. डॉ मरांडी कहा कि महिलाओं, किशोर-किशोरियों और बच्चे-बच्चियों के सर्वांगीण विकास पर विशेष जोर है. उन्हें जीवन कौशल का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. गरीब, बेसहारों और जरूरतमंदों के लिए पेंशन योजनाएं चलाई जा रही है. डॉ मरांडी ने बताया कि तेजस्विनी योजना के तहत 14 -24 आयु वर्ग की किशोरियों और युवतियों जीवन कौशल का प्रशिक्षण दिया जाना है. इस योजना के अंतर्गत तेजस्विनी क्लबों के मार्फत 10 लाख किशोरियों और युवतियों को जोड़ा जाना है. मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत 72 हजार वार्षिक आय वालों को 30 हजार रुपए की आर्थिक सहायता दी जा रही है. वहीं, बालिका शिक्षा हेतु मुख्यमंत्री सुकन्या योजना के तहत दो वर्ष तक की बालिका के माता के बैंक खाते में पांच हजार रुपए, कक्षा एक में नामांकन कराने पर, कक्षा पांच, आठ, दस और बारह उतीर्ण करने पर 5000-5000 रुपए की राशि बालिका के खाते में डाली जाएगी. फिर, 18-20 वर्ष की आयु पूरी होने पर 10 हजार रुपए की आर्थिक सहायता भी दी जा रही है. वित्तीय वर्ष 2019-20 में इस योजना के लाभुकों की संख्या 29 लाख से ज्यादा है। डॉ मरांडी ने कहा कि बाल श्रम और ट्रैफिकिंग से मुक्त कराए बच्चों और महिलाओं के पुनर्वास के लिए नई दिल्ली और रांची में रिहैबिटेशन रिसोर्स सेंटर खोले गए हैं. बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ के अंतर्गत बालिकाओं को विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से सशक्त बनाया जा रहा है. महिलाओं के कौशल विकास, रोजगार, डिजिटल साक्षर, स्वास्थ्य व पोषण संबंधी जानकारी देने के लिए महिला शक्ति केंद्र खोले गए हैं. वन स्टॉप सेंटर के तहत हिंसा से पीड़ित महिलाओं को चिकित्सीय सहायता, परामर्श, कानूनी सहायता, पुलिस सहायता और अल्पावास की सुविधा दी जाती है. अभी ये सेंटर रांची,धनबाद और पूर्वी सिंहभूम में संचालित हैं और सभी जिलों में खोलने की प्रक्रिया चल रही है.डॉ मरांडी ने बताया कि विभिन्न श्रेणियों में गरीबों, जरुरतमंदों और बेसहारों के लिए कई पेंशन योजनाएं चल रही हैं. इनमें वृद्धावस्था पेंशन, विधवा पेंशन योजना, राष्ट्रीय दिव्यांग पेशन योजना, राज्य सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना, राज्य विधवा सम्मान पेंशन योजना, आदिम जनजाति पेंशन योजना के अलावा स्वामी विवेकानंद निःशक्त स्वावलंबन प्रोत्साहन योजना और राष्ट्रीय परिवार हितलाभ योजना शामिल है. उन्होंने बताया कि सभी पेंशन योजनाओं के मासिक पेंशन की राशि बढ़ाकर एक हजार रुपए कर दी गई है. वर्तमान में 20.27 लाख से ज्यादा लाभुक पेंशन योजनाओं का लाभ ले रहे हैं.
