नीतिश कुमार से प्रशांत किशोर की हुई अनबन, नीतिश प्रशांत को पार्टी से बाहर का रास्त दिखाने को ढ़ूंढ़ रहे हैं बहाना

देश बिहार

पटना से अविनाश यादव की रिपोर्टः-
पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार की उनके ही सिपहसलार प्रशांत किशोर और पवन वर्मा से अनबन हो गयी है। और नीतिश कुमार दोनों नेताओं का पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाने के लिये बहािना ढ़ूंढ़ रहे हैं। अब नीतिश कुमार का भी दोनोे के प्रति खुलकर रूख सामने आ रहा है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि उन्होंने अमित शाह के कहने पर प्रशांत किशोर को पार्टी में शामिल किया था। अब अगर उन्हें जदयू में रहना है, तो पार्टी की नीतियों और सिद्धांतों को मानना पड़ेगा। बिहार में भाजपा और जदयू गठबंधन सत्ता में काबिज है। प्रशांत किशोर लगातार नागरिकता कानून और नागरिकता रजिस्टर के खिलाफ बयान दे रहे हैं। वहीं, पवन वर्मा दिल्ली में भाजपा से गठबंधन का विरोध कर रहे हैं। नीतीश के बयान पर प्रशांत किशोर ने बिहार पहुंचकर जवाब देने की बात कही है। नीतीश कुमार ने कहा- किसी को हम थोड़े ही पार्टी में लाए थे। अमित शाह के कहने पर मैंने प्रशांत किशोर को पार्टी में शामिल कराया था। अमित शाह ने मुझे कहा था कि प्रशांत को पार्टी में शामिल कर लीजिए। अब अगर उन्हें जदयू के साथ रहना है, तो पार्टी की नीति और सिद्धांतों के मुताबिक ही चलना पड़ेगा। नीतीश ने कहा- मुझे पता चला है कि प्रशांत किशोर आम आदमी पार्टी के लिए रणनीति बना रहे हैं। ऐसे में अब उन्हीं से पूछना चाहिए कि वे जदयू में रहना चाहते हैं या नहीं। उनके बयानों पर तंज कसते हुए नीतीश ने कहा, “हमारी पार्टी बड़े लोगों की पार्टी नहीं है, जहां किसी भी मुद्दे पर ट्वीट और ईमेल कर दिया। अपनी राय रखने के लिए सभी आजाद हैं। एक पवन वर्मा पत्र लिखते हैं, तो दूसरे प्रशांत किशोर ट्वीट करते हैं। जब तक उन्हें पार्टी में रहने की इच्छा होगी, वे रहेंगे। हम सभी को इज्जत देते हैं।”नीतीश कुमार के बयान पर जदयू उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने कहा- नीतीश जी बोल चुके हैं, अब मेरे जवाब का इंतजार कीजिए। मैं उन्हे जवाब देने के लिए बिहार जाऊंगा। प्रशांत किशोर फिलहाल दिल्ली में हैं और उन्होंने अपने बिहार जाने की तारीख का खुलासा नहीं किया है। प्रशांत किशोर और पवन वर्मा के हाल के बयानों से कई बार जदयू को एनडीए में दुविधा का सामना करना पड़ा है। दोनों नेता सीएए और एनआरसी को लेकर लगातार सवाल उठा रहे हैं। 14 दिसंबर को प्रशांत किशोर ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात की थी। इसके बाद भी उनके सुर नहीं बदले। हालांकि, सीएए को लेकर वे कुछ वक्त तक खामोश रहे, लेकिन एनआरसी के खिलाफ लगातार आवाज उठाते रहे। पवन वर्मा ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा और जदयू के बीच गठबंधन पर नाराजगी जताते हुए नीतीश कुमार को पत्र लिखा था। इस संबंध में नीतीश से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा था उनके पत्र का कोई मतलब नहीं है। एक मेल भेज दीजिए और मीडिया में बयान दे दीजिए। ट्वीट करके और मीडिया में बयान देकर पवन वर्मा क्या साबित करना चाहते हैं? उनकी चिट्ठी का कोई महत्व नहीं है।

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