प्रदीप यादव के जमानत से विपक्षी दलों को मिलगी ताकत, विधानसभा चुनाव भी होगा रोचक

Jharkhand झारखण्ड

रिपोर्टः- अशोक कुमार

झारखंड विकास मोर्चा विधायक प्रदीप यादव

रांची: शनिवार को विपक्षी दलों के लिये झारखंड विधानसभा चुनाव को देखते हुए बड़ी खुशखबरी हाथ लगी है। यह खुशखबरी कानून के झारखंड में सबसे बड़ी अदालत झारखंड हाईकोर्ट के एक फैसले से हाथ लगी है। यौन शोषण मामले के आरोपी झारखंड विकास मोर्चा विधायक प्रदीप यादव को हाईकोर्ट ने आज जमानत दे दी। हाईकोर्ट के इस फैसले से झारखंड में विपक्षी एकता और खासकर महागठबंधन को बड़ी ताकत हाथ लगी है। झारखंड विधानसभा में अपने तकरीर से सत्तापक्ष को धूल चटाने वाले प्रदीप यादव को जमानत मिलने के साथ हीि विपक्षी ताकत को मजबूती मिलेगी। गुरुवार को कोर्ट ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। इससे पहले कोर्ट ने 18 जून को प्रदीप यादव की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया था। प्रदीप यादव पर उनकी ही पार्टी की महिला नेत्री ने यौन शोषण का आरोप लगाते हुए केस दर्ज कराया है। अपनी ही पार्टी के महिला नेत्री के साथ यौन शोषण के आरोप में प्रदीप यादव अभी जेल में बंद हैं। जमानत मिलने के बाद अब प्रदीप यादव जल्‍द ही जेल से बाहर आ जाएंगे। झारखंड हाई कोर्ट ने बीते दिन प्रदीप यादव की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों की ओर से बहस पूरी होने के बाद जस्टिस आर मुखोपाध्याय की अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। तब अदालत इस मामले में 28 सितंबर को फैसला सुनाने का निर्देश दिया था। दरअसल, हाई कोर्ट से अग्रिम जमानत याचिका खारिज होने के बाद प्रदीप यादव ने निचली अदालत में सरेंडर किया था। उनकी ही पार्टी की महिला नेत्री ने उन पर यौन शोषण करने का आरोप लगाया है। सुनवाई के दौरान प्रदीप यादव के अधिवक्ता ललित यादव ने अदालत को बताया गया कि इस मामले में उन्हें साजिश के तहत फंसाया गया है। पीडि़ता ने घटना के 13 दिन बाद प्राथमिकी दर्ज कराई है। इससे प्रतीत होता है कि पीडि़ता ने सोची समझी साजिश के तहत उन पर यौन शोषण का आरोप लगाते हुए प्राथमिकी दर्ज कराई है। उनके खिलाफ किसी प्रकार का साक्ष्य पुलिस को नहीं मिला है। इस कारण उन्हें जमानत मिलनी चाहिए। जबकि, सरकार की ओर से जमानत का विरोध किया गया। दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया। जेवीएम की एक महिला कार्यकर्ता द्वारा प्रदीप यादव पर बीते 20 अप्रैल को एक होटल में बुलाकर छेड़छाड़ करने का आरोप लगाया गया था। बीते दो मई को एक महिला जो झारखंड विकास मोर्चा की प्रवक्ता भी थी उसने साइबर थाना में यौन उत्पीड़न का केस दर्ज कराया था। मामले के बाद पुलिस द्वारा उक्त होटल को भी सीज किया गया था। वहां फोरेंसिक टीम को भी बुलाया गया था। प्रदीप यादव को जेवीएम महासचिव के पद से इस्तीफा भी देना पड़ा था। यौन शोषण के आरोपी जेवीएम विधायक प्रदीप कुमार यादव 25 जुलाई को देवघर कोर्ट में आत्मसमर्पण किया। इसके बाद उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था। दरअसल, 16 जुलाई को प्रदीप कुमार यादव की अग्रिम जमानत हाईकोर्ट ने खारिज कर दी थी। प्रदीप यादव के मामले में यह बताया जा रहा है कि अनुसंधान के दौरान जिस महिला ने प्रदीप यादव के उपर यौन उत्पीड़न आरोप लगायी है उसका मोबाइल लोकेशन और प्रदीप यादव का लोकेशन अलग-अलग था जिसकी वजह से प्रदीप यादव पर लगा आरोप झूठा प्रतीत होता है। वहीं इस पूरे प्रकरण के दौरान राजनीतिक साजिश की बू भी आ रही है। ऐन लोकसभा चुनाव के दौरान प्रदीप यादव के उपर इस आरोप के कारण लोकसभा चुनाव के दौरान जनता के बीच उनकी छवि को धूमिल करने की भी साजिश साबित होता नजर आ रहा है। वहीं इस बीच प्रदीप यादव के जेल से बाहर आने से विधानसभा चुनाव में जनता की सहानूभूति भी हाथ लगेगी।

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