भाजपा में शशिभूषण मेहता के विरोध के मूल में सवर्ण बनाम पिछड़़ा की राजनीति

Jharkhand झारखण्ड

रिपोर्टः- अशोक कुमार

पलामू: पलामू में सवर्णो की तूती बालती है और सवर्ण अपनी सत्ता कायम करने के लिये पलामू में किसी भी हद तक जा सकते हैं। पलामू जिले में सवर्ण जाति की संख्या कम होने के वावजूद भी विधायक बनने और आरक्षित सीटों पर एसटी और एससी सीटों पर लोकसभा और विधानसभा चुनाव को जिताने और हराने का काम करते रहे। कारण साफ है कि पलामू में पिछड़ों और दलितों की राजनीति को कभी पनपने नहीं दिया गया। मंडल आंदोलन की अकुलाहट के कारण 1990 के बाद पिछड़ों और दलितों ने सत्ता में भागीदारी लेने के लिये राजनीति में आने की हिम्मत की और लागतार कई बार विधायक रहे ददई दूबे को विश्राामपुर विधानसभाा सीट से राजद के टिकट पर रामचन्द्र चन्द्रवंशी ने जीत दर्ज की। 1995 के विधानसभा चुनाव में रामचन्द्र चन्द्रवंशी ने कई हत्याओं और अपराधो के आरोपी रहे ददई दूबे को जनता दल के टिकट पर हराया। पलामू जिले के सवर्णो के दबंगई के आगे सभी जाति के लोग खुद को असहाय मानते हैं। पलामू में नक्सलवाद के पनपने का कारण भी सवर्ण जाति के अत्याचारों के आगे पिछड़ों के हथियार उठाना प्रमुख कारण है। पलामू जिले की राजनीति का अंदाजा आपको लगाना है तो पलामू प्रमंडल के चतरा, लातेहार, पलामू और गढ़वा में सवर्ण जाति की दबंगई है और इस इलाके में नक्सलियों ने इसी जाति शोषण के कारण अपनी पैठ बनायी। नक्सलियों में सबसे अधिक यादव जाति और गंझू जाति के लोगों ने भाग लिया क्योंकि वो शोषण के विरूद्ध अपनी आवाज उठायी। पांकी विधानसभा में पूर्व विधायक मधु सिंह, पूर्व विधायक विदेश सिंह और वर्तमान विधायक बिट्टू सिंह की ही धम रही है। राजद, निर्दलीय और कांग्रेस के टिकट पर विदेश सिंह ने तीन बार जीत दर्ज की। तो वहीं शशिभूषण मेहता तीन बार से चुनाव लड़ रहे हैं। शशिभूषण मेहता को पिछड़े वर्ग और दलितों का वोट हासिल हो रहा है जिसे लेकर पांकी की राजनीति सवर्ण बनाम पिछड़ा बनती जा रही है। सुचित्रा मिश्रा की हत्या का आरोप शशिभूषण मेहता पर लगा है। शशिभूषण मेहता पिछले कई बार से विधनसभा चुनाव लड़ रहे हैं। पिछले दो बार से तीन हजार के मतों के अंतर से शशिभूषण मेंहता चुनाव हार रहे हैं। शशिभूषण मेहता के भाजपा में शामिल होने से कांग्रेस के विधायक बिट्टू सिंह को चुनाव में काफी परेशानी हो रही है। शशिभूषण मेहता को पिछड़ों का वोट मिलता रहा है और ऐसी स्थिति में भाजपा के टिकट हासिल होने पर बिट्टू सिंह को विधानसभा पहंचना काफी मुश्किल होगा। वहीं पांकी विधानसभा से ब्राहा्ण जाति के नेता भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ना चाहते हैं लेकिन शशिभूषण के आने के बाद उके सपनों का टूटना तय है। शशिभूषण को भाजपा के रास्ते से हटाने के लिये पांकी से भाजपा किे टिकटार्थी भी षंडयंत्र करने में लगे हैं कि सुचित्रा मिश्रा की हत्या के बहाने शशिभूषण का पत्ता साफ कर खुद के लिये रास्ता बनाया जाये। हालंाकि पांकी में भाजपा के समर्थक कहे जानेवाले जाति के लोग पार्टी के बजजाय अपने स्वजातीय प्रत्याशी को वोट देते रहे हैं। पांकी में मुस्लिमों की सबसे अधिक संख्या है और उसके बाद कुशवाहा मतदाता है जिस जाति से शशिभूषण मेहता आते हैं। वहीं धानुकों की संख्या बा्रहा्ण मतदाताओं के बाद है। बा्रहा्ण मतदाता लगभग 30 हजार है जबकि धानुक 20 हजार है तो वहीं यादव मतदाता 22 हजार है वहीं राजपूत मतदाता केवल 4 हजार हैं जिस जाति से वर्तमान विधायक बिट्टू सिंह आते हैं। हाल के दिनों में बिट्टू सिंह के भाजपा में शामिल होने के कयास लग रहे थे। वहीं भाजपा के राश्ट्रीय सहसंगठन मंत्री सौदान सिंह से नजदीकी रिश्ते हैं और बिट्टू सिंह कांग्रेस में रहते हुए भी लोकसभा चुनाव में चतरा के सांसद सुनील सिंह के लिये ही काम किया था जिसके बाद उनको भाजपा में शामिल कराकर टिकट देने का आश्वासन भी सौदान सिंह ने दिया था। लेकिन भाजपा के अंदर प्रधानमंत्रीी नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री रघुवर दास के बढ़ते प्रभाव के कारण पिछड़ों की राजनीति काफी मजबूत हुई है। पिछड़ों के नेताओं के भाजपा में अब मजबूत पकड़ रखने के कारण हाल के दिनों में पिछड़ों का झारखंड में रूझान बढ़ा है। जिसके कारण ही सवर्ण जाति के नेताओं के न चाहने के वावजूद भी शशिभूषण मेहता को भाजपा में शामिल किया गया है। शशिभूषण मेहता के उपर अपने ही स्कूल के वार्डन सुचित्रा मिश्रा की हत्या का आरोप है। हत्या के आरोपी का भाजपा में होने की काई नयी कहानी नहीं है। पांकी के विधायक रहे विदेश सिंह पर दर्जनों हत्यायें के मामले चल रहे थे लेकिन 2014 में भाजपा के सौदान सिंह ने पार्टी में विदेश सिंह को शामिल कराने की कवायद की थी लेकिन केन्द्रीय नेतृत्व की हरी झंडी नहीं मिलने के कारण उनकी एंट्री नहीं हो सकी। भाजपा में झरिया के विधायक संजीव सिंह पर अपने ही चचेरे भाई निरज सिंह की हत्या का आरोप है और वह फिलहाल जेल में बंद हैं। लेकिन भाजपा के नेताओं ने कभी भी पार्टी से उनको बाहर करने की मांग नहीं की है। पांकी के इलाके में पूर्व विधायक मधु सिंह के पुत्र लालसूरज से भी छत्तीस का रिश्ता है क्योंकि लाल सूरज ने एक बा्रहाण लड़की से शादी की है जबकि वह खुद धानुक जाति से आते हैं। बिट्टू सिंह को चतरा के सांसद सुनील सिंह और केन्द्रीय सहसंगठन मंत्री सौदान सिंह भाजपा में शामिल कराना चाहते थे लेकिन झारखंड के पिछड़े नेताअेां के विरोध के कारण बिट्टू सिंह के बजाय शशिभूषण मेहता को एंट्री मिली लेकिन बिट्टू सिंह के समर्थक भाजपा में बैइे नेताअेां ने शशिभूषण को भाजपा में एंट्री रोकने के लिये सुचित्रा मिश्रा के परिजनों को ढ़ाल बनाया। सुचित्रा मिश्रा की हत्या का मामला फिलहाल कोर्ट में हैं लेकिन इसी आधार पर भाजपा में शशिभूषण की एंट्री रोकने का प्रयास किया गया लेकिन पिछड़े नेताओं के कारण शशिभूषण को एंट्री मिल गयी। लेकिन अभी पांकी से भाजपा का प्रत्याशी घोषित होने तक यह ड्रामा चलता रहेगा। अब देखना है कि पांकी से शशिभूषण भाजपा की टिकट ले पाते हैं या नहीं इसके लिये हमें इंतजार करना होगा। भाजपा के अंदर अब बिट्टू सिंह के लिये इस राजनीतिक नाटक का अंत किस तरह से हहोता है इसे देखना दिलचस्प होगा।

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