
मुखर संवाद के लिये अशोक कुमार की रिपोर्ट:-
रांची: भले ही मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री बनने के साथ सरकार में उनकी ही चलती है लेकिन शायद यह वो भूल गये हैं कि हेमंत सोरेन के नेतृत्व में झारखंड के अंदर चल रही सरकार केवल उनकी ही नहीं बल्कि महागठबंधन की सरकार है। केवल उनके अपने दम पर चलनेवाली यह सरकार नहीं है। हाल के दिनों में जिस तरह का आचरण और व्यवहार मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खेमे की ओर से हो रहा है उससे यही लगता है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अकेले अपने बलबूते ही मुख्यमंत्री बने हुए हैं। हालंाकि सभी महत्वपूर्ण विभागों की तरह ही बहुत सारे विभागों पर कब्जा बरकरार रखा है मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने। शायद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को लग रहा है कि जिस तरह से पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास अपने अकेले ही चना भाड़ फोड़ने की सोचते रहे हैं उसी राह पर हेमंत सोरेन भी चल रहे हैं। जिस तरह से रघुवर दास ने अपनी सरकार में मंत्रियों को केवल चपरासी मात्र बनाकर रखे हुए थे उसी तरह से हेमंत सोरेन भी अपने मंत्रियों को बनाकर रखेंगें। हेमंत सोरेन को अब यह बात अच्छी तरह से मालूम है कि उनकी खिलाफत झारखंड मुक्ति मोर्चा के मंत्री तो करने की हिमाकत नहीं कर सकते लेकिन अ बवह शायद भूल बैइे थे कि उनकी सरकार महागठबंधन की सरकार है और इसमें कांग्रेस के चार और राजद का एक मात्र मंत्री है। हाल के दिनों में कमुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का जिस तरह से व्यवहार हो रहा है उससे यही लगता है कि हेमंत सोरेन खुद ही अपनी ही सरकार का दुश्मन बन बैठे हैं। उनको लगता है कि भाजपा के साथ उनकी पहले बनी सरकार का डर कांग्रेस और राजद के नेताओं को दिखाकर अपने चमड़े का सिक्का चलाते रहेंगें। हाल ही में जिस तरह से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जिस तरह का व्यवहार और आचरण अपने सहयोगी दलों कांग्रेस और राजद के साथ दिखा रहे हैं उससे कांग्रेस और राजद के नेताअेां का भड़कना लाजमी था।
लालू प्रसाद यादव को पेराॅल देने के मामले पर भी कांग्रेस और राजद के नेता एकजुट हैं लेकिन हेमंत सोरेन के सलाहकार न जाने किस कारण उस मुद्दे पर बात करना भी पसंद नहीं करते। हाल ही में लालू प्रसाद यादव के पेराॅल मामले पर मुख्यमंत्री हेमंत सोेरेन से मिलने गये राजद के नेताओं से मिलने से गुरेज कर यह प्रमाणित कर दिया कि राजद की उनको कोई आवश्यकता नहीं है और उनकी कृपा पर ही उनके एकमात्र मंत्री सत्यानंद भोक्ता राजद मंत्रीमंडल में बने हुए हैं। मुख्यमंत्री आवास में रहने के वावजूद भी राजद के प्रदेश अध्यक्ष और अन्य नेताअरों की उपेक्षा करते हुए मिलने से मना कर दिया था। जबकि राजद के वोट बैंक के सहारे ही झारखंड मुक्ति मोर्चा के कई विधायक चुने गये हैं। दरअसल हेमंत सोरेन को यह भान भी नहीं था कि उनकी 30 विधायक चुन कर आयेंगें। और शायद यही संख्या बल उनको लागातार राजद और कांग्रेस की उपेक्षा करने पर विवश कर रहा है। राजद के साथ मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जिस तरह का व्यवहार कर रहे हैं उसी तरह का व्यवहार कांग्रेस के मंत्रियों के साथ करने का प्रयास कर रहे हैं जिसे लेकर स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता का गुस्सा फुटा है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन शायद यह भूल गये हैं कि उनकी सरकार अकेले बहुमत की सरकार नहीं है बल्कि महागठबंधन की सरकार है जिसे बड़े फैसलों पर सभी की सहमति जरूरी है लेकिन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के एकतरफा फैसला लेने के कारण महागठबंधन मंे खटास पैदा हो रही है केवल उनकी गलतियों के कारण ही । कोरोना संक्रमण को बढने से रोकने के प्रयासों के बीच कल सरकार के नीतिगत फैसलों पर नाराजगी जताकर राज्य के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता अकेले पड़ गए हैैं। कांग्रेस कोटे के अन्य मंत्रियों ने जहां इससे पल्ला झाड़ते हुए तमाम निर्णयों को मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार बताया है वहीं संगठन ने भी इसपर पल्ला झाड़ा है। लेकिन कांग्रेस के मंत्री हेोने के नाते बन्ना गुप्ता इतना बड़ा विरोध अपने दम पर नहीं करते। ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम, वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव, स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता और कृषि मंत्री बादल पत्रलेख मुख्यमंत्री से मुलाकात करने प्रोजेक्ट भवन पहुंचे थे। लेकिन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन उनसे भी मिलने से इंकार कर गये। स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने कहा है कि मुख्यमंत्री से चार मुद्दों पर चर्चा करने के लिए गए थे लेकिन बात नहीं हो सकी। इसमें सबसे अहम मुद्दा था राज्य में पुलिस अधीक्षकों का तबादला। इसके अलावा 5 करोड़ तक खर्च करने का अधिकार सचिवों को और सभी अभियंत्रण विभागों को मर्ज करने के पूर्व सरकार के फैसले पर हमारी आपत्ति है, इस पर चर्चा करनी थी। छात्रों और मजदूरों को लाने का मुद्दा भी हमारी चर्चा में शामिल होता। हालांकि कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने कहा कि पार्टी को कहीं से कोई शिकायत नहीं है और ना ही इस संदर्भ में हम लोग चर्चा करने गए थे। कांग्रेस के मंत्रियों को मानना है कि बाहर फंसे लोगों को बसों से लाने में भारी असुविधा होगी और लंबा वक्त लगेगा। लंबी दूरी की बसों का अनुभव भी यहां के लोगों को नहीं है। ऐसे में संयुक्त रूप से कांग्रेस के मंत्री चाहते हैं कि ट्रेन से ही लोगों को झारखंड लाने की व्यवस्था की जाए। इसी को लेकर मुख्यमंत्री से आग्रह करने सभी लोग पहुंचे थे। वहीं कांग्रेस विधायक डा. इरफान अंसारी ने भी स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता की बातों को गलत ठहराया है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का पुलिस अफसरों को तबादले का निर्णय सही है और उन्हें इसका पूरा अधिकार भी है। अन्य अफसरों का भी बड़े पैमाने पर तबादला करना चाहिए। सरकार के नीतिगत फैसलों में इस प्रकार का हस्तक्षेप स्वास्थ्य मंत्री को नहीं करना चाहिए। मंत्री संतुलित बातें करें और अपना ध्यान विभाग तक सीमित रखें। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मिलने पहुंचे कांग्रेस कोटे के चार मंत्रियों की सीएम से मुलाकात रद होने के बाद कांग्रेस में फिर से रार छिड़ती नजर आ रही है। सरकार के नीतिगत फैसलों पर सवाल उठाने वाले स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता इस मामले में अकेले पड़ते और घिरते नजर आ रहे हैं। वहीं कांग्रेस संगठन की ओर से जहां कार्यकारी अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने दो टूक कहा कि 35 आइपीएस के तबादले के मसले पर संगठन को किसी तरह की कोई आपत्ति नहीं है।
स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने कहा है कि कांग्रेस के चारों मंत्री मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से चार मुद्दों पर चर्चा करने गए थे। जिसमें पुलिस महकमे में हुए भारी-भरकम तबादले का मुद्दा सबसे अहम था। स्वास्थ्य मंत्री ने हेमंत सरकार के कुछ फैसले पर आपत्ति जताई थी। जिसमें सचिवों को 5 करोड़ रुपये तक के खर्च के अधिकार और सभी अभियंत्रण विभागों को मर्ज करने का फैसला शामिल था। उन्होंने कहा कि दूसरे राज्यों में फंसे छात्रों और मजदूरों को लाने का मुद्दा भी सीएम के साथ चर्चा में था।
ऐसी स्थिति में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के सिपहसलार यह भूल गये हैं कि कांग्रेस और राजद की उपेक्षा करके वह अपनी सरकार नहीं चला सकते हैं। उनको शायद यह उम्मीद होगी कि भाजपा के साथ जाने की धौस दिखाकर वह कांग्रेस और राजद पर ऐसे ही दबाव बनायेंगें तो उनको अंदाजा भी नहीं होगा कि भाजपा केवल उनकी सरकार को धरासायी करके अपनी सरकार बनाने में ही दिलचस्पी लेगी और उनको तो मुख्यमंत्री कभी भी नहीं बनायेगी जैसा कि शिबू सोरेन को भाजपा ने मुख्यमंत्री बनाया था। क्योंकि भाजपा के विरोधी नम्बर एक झामुमो है झारखं डमें और मुख्यमंत्री पद के लिये भाजपा झामुमो को ही विरोधी मानती है ना कि कांग्रेस और राजद को। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पिछले चार महीने में ही भूल गये कि यह हेमंत सरकार केवल झारखंड मुक्ति मोर्चा की ही नहीं है बल्कि इसमें कांग्रेस और राजद का भी योगदान है !
