
भोपाल से श्री राम प्रसाद की रिपोर्टः-
भोपाल: पिछड़े के नेत्री के रूप में राम मंदिर आंदोलन मंें अग्रणी रही उमा भारती ने लाल कृष्ण आडवाणी सहित अपनी उपेक्षार को लेकर भाजपा पर मुखर हुई है। उमा भारती ने कहा है कि राम के नाम पर भाजपा का पेटेंट नहीं हुआ है। राम के नाम पर किसी का पेटेंट नहीं हो सकता है। राम का नाम अयोध्या या भाजपा की बपौती नहीं है। ये सबकी है, जो भाजपा में हैं या नहीं हैं, जो राम को मानते हैं, राम उन्हीं के हैं। बड़े ही संघर्ष के बाद ये शुभ दिन आया है, इस पर राजनीति नहीं करनी चाहिए।
उमा भारती ने कहा है कि जब वे आठ साल की थी तब से अयोध्या आ रही हैं। 28 साल की थीं, जून 1990 में तब विश्व हिंदू परिषद के मार्गदर्शक मंडल की सदस्य बन गईं। इसी साल 31 अक्टूबर को मार्गदर्शक मंडल की बैठक में राम जन्मभूमि पर कारसेवा की घोषणा हुई। विहिप ने पूरे देश में कारसेवा के लिए अयोध्या पहुंचने का आह्वान किया। लालकृष्ण आडवाणी ने भी रथ यात्रा की घोषणा कर दी, फिर पूरे देश में जैसे राम भक्ति का ज्वार आ गया। उमा भारती के मुताबिक उन्हें विजयाराजे सिंधिया के साथ चित्रकूट से गिरफ्तार कर बांदा ले जाया गया, जहां 50 हजार कारसेवकों के साथ रखा गया। सबको रिहा कर दिल्ली भेज दिया गया। चुनाव हुए और केंद्र में वीपी सिंह, राज्य में मुलायम सिंह की सरकार गिर गई। साल 1991 में यूपी में कल्याण सिंह मुख्यमंत्री बने। संसद से लेकर हर तरफ यह मुद्दा राजनीति का मुख्य बिंदु बन गया। 17 नवंबर को संन्यास की दीक्षा लेने के बाद अशोक सिंघल के आह्वान पर वे 1 दिसंबर को अयोध्या पहुंचीं। 6 को ढांचा गिरा दिया गया। 7 को वो दिल्ली लौटीं और 8 दिसंबर को उन्हें लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी के साथ गिरफ्तार कर लिया गया।
