
मुखर संवाद के लिये मलय दास की रिपोर्टः-
नयी दिल्लीः बीजेपी पश्चिम बंगाल चुनाव के पहले बीजेपी को एक और झटका देने की तैयारी में थी जिसे लेकर बीजेपी ने अपना दरांव खेल दिया है। बीजेपी ने टीएमसी के नेता दिनेश त्रिवेदी को बीजेपी में शामिल कराकर ममता बनर्जी को तगड़ा झटका देने में सफल हो गयी है। हालंाकि राजनीतिकगलियारे में दिनेश त्रिवेदी का टीएमसी से इस्त्ीफे को ममता बनर्जी से बदला लेने का कदम भी कहा जा रहा है। ममता बनर्जी के दबाव के कारण ही दिनेश त्रिवेदी ने रेलमंत्री के पद से इस्तीफा देने को मजबूर हुए थे। ममता बनर्जी ने दिनेश त्रिवेदी की ओर से रेलभाड़ा बढ़ाने पर यह कदम उठाया था। पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनावों से पहले तृणमूल कांग्रेस को एक और बड़ा झटका लगा है। टीएमसी के पूर्व राज्यसभा सांसद दिनेश त्रिवेदी आज भाजपा में शामिल हो गए। दिनेश त्रिवेदी, जिन्होंने 12 फरवरी को राज्यसभा में टीएमसी सांसद के रूप में इस्तीफा दे दिया था, वह भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल की उपस्थिति में भाजपा में शामिल हुए।भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने बधाई देते हुए कहा कि मुझे बहुत खुशी हो रही है कि दिनेश त्रिवेदी जी को हम भाजपा में शामिल कर रहे हैं। मैं अपनी ओर से, अपने सभी साथियों और करोड़ों कार्यकर्ताओं की तरफ से उनका हार्दिक अभिनंन्दन और स्वागत करता हूं। दिनेश त्रिवेदी जी का राजनीतिक अनुभव लंबा रहा है और उन्होंने एक वैचारिक यात्रा राजनीति में की है।सत्ता को दरकिनार करते हुए, विचार की लड़ाई लड़ते हुए उन्होंने अपना जीवन गुजारा है। तृणमूल कांग्रेस में भ्रष्टाचार, अवसरवादिता, लोकतंत्र की हत्या, संस्थाओं का गला घोंटना, ये सब कुछ विराजमान है। इसीलिए संवेदनशील और विवेकशील व्यक्तित्व के धनी दिनेश त्रिवेदी ने तृणमूल को छोड़कर आज भाजपा को ज्वॉइन किया है।देश के पूर्व रेलमंत्री रहे दिनेश त्रिवेदी ने अपनी सियासी सफर की शुरुआत कांगेस की की थी। इसके बाद जनता दल से जुड़ने के बाद वह ममता बनर्जी की तृणमूल पार्टी में शामिल हो गए। दिनेश त्रिवेदी की गिनती ममता बनजी के करीबियों में की जाती थी। इसी वजह से जब यूपीए के दूसरे कार्यकाल के समय ममता बनर्जी 2011 में बंगाल के मुख्यमंत्री के पद पर बैठी तो उन्होंने रेल मंत्रालय की अहम जिम्मेदारी दिनेश त्रिवेदी को सौंपी। राजनीति में आने से पहले दिनेश त्रिवेदी ने विभिन्न कार्यक्षेत्रों में काम किया। राजनीति में भी उन्हें बहुत से दलों का अनुभव मिला। त्रिवेदी से 80 के दशक में कांग्रेस का दामन थामा था और उसके बाद 90 के दशक में जनता दल में शामिल हो गए। कुछ समय जनता दल में रहने के बाद 90 के दशक के आखिर में वह ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए।
भाजपा में शामिल होने के बाद उन्होंने कहा कि बंगाल की जनता ने तृणमूल कांग्रेस को नकार दिया है। राज्य की जनता तरक्की चाहती है, वो हिंसा और भ्रष्टाचार नहीं चाहती। राजनीति कोई श्खेलाश् नहीं होता, ये एक गंभीर चीज है। खेलते-खेलते वो (ममता बनर्जी) आदर्श भूल गई हैं।विधानसभा चुनाव से पहले 7 मार्च बंगाल की राजनीति के लिए बड़ी तारीख हो सकती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कोलकाता के ऐतिहासिक परेड ग्राउंड में बड़ी रैली करने वाले हैं। इस रैली में ठब्ब्प् प्रेसीडेंट सौरव गांगुली का भाजपा में शामिल होना तय है।इस दिन सौरव के साथ-साथ मिथुन चक्रवर्ती, प्रोसेनजीत समेत बंगाल की कई नामी हस्तियां भाजपा में शामिल होंगी। सूत्रों ने बताया कि गांगुली को भाजपा में लाने की पटकथा दिसंबर 2019 में ही लिखी जा चुकी थी। तब के पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने मोदी की सहमति के बाद इसकी तैयारी शुरू कर दी थी।
