

रिपोर्ट- अशोक कुमार
धनबाद: कभी कोयलांचल की राजनीति जिस घर से चलती थी उसका नाम सिंह मेंशन है। लेकिन बदलते दौर में सिंह मेंशन की राजनीति खतरे में दिखायी देने लगी है। सिंह मेंशन को बाहर के लोगेां से खतरा नहीं है बल्कि अपने ही अपनो के दुश्मन बन बैठे थे जिसके कारण सिंह मेंशन की राजनीतिक विरासत को खतरा महसूस होने लगा था। सिंह मेंशन हाल के दिनों में कोयलांचल की राजनीति में घ्झाटते प्रभाव को देखते हुए परिवार के सभी सदस्य अपने अस्तित्व को लेकर चिन्तित थे जिसके कारण अब वो परिवार एकजुट होने की कवायद में जुट गया है। कई बार झटका खाने के बाद कोयलांचल का सबसे ताकतवर राजनीतिक घराना सिंह मैंशन को अपनी भूल का अहसास हो गया है। अब राजनीतिक गिले-शिकवे भूलकर परिवार के सभी सदस्य झरिया के विधायक संजीव सिंह की पत्नी रागिनी सिंह के नेतृत्व के पीछे खड़े हो रहे हैं। इसका साफ संकेत विधायक के भाई जनता मजदूर संघ के संयुक्त महामंत्री सिद्धार्थ गौतम उर्फ मनीष सिंह ने दिया है। उन्होंने घोषणा की है कि उनकी भाभी रागिनी सिंह झरिया विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ेंगी। चुनाव में जनता मजदूर संघ सशक्त भूमिका निभाएगा। विधायक संजीव सिंह भाजपा की राजनीति करते हैं। वह झरिया से भाजपा के टिकट पर 2014 में झारखंड विधानसभा के लिए चुने गए थे। 2005 और 2009 के विधानसभा चुनाव में संजीव की मां कुंती सिंह झरिया से भाजपा के टिकट पर विधायक चुनी गई थीं। पूरा परिवार भाजपा में है। लेकिन, लोकसभा चुनाव- 2019 के दौरान सबके मनाने के बावजूद विधायक के छोटे भाई मनीष सिंह नहीं माने। उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में धनबाद लोकसभा क्षेत्र के चुनाव लड़ा। जनता ने बुरी तरह से नकार दिया। हालांकि जेल में बंद विधायक संजीव की पत्नी रागिनी सिंह ने झरिया विधानसभा क्षेत्र में भाजपा प्रत्याशी सांसद पीएन सिंह को बढ़त दिलाने के लिए जी-जान से लगी रही। बढ़त भी मिला। भाजपा विधायक संजीव सिंह अपने ही चचेरे भाई धनबाद के पूर्व डिप्टी मेयर नीरज सिंह समेत चार लोगों की हत्या के आरोप में दो साल से ज्यादा समय से जेल में बंद हैं। इस कारण उनकी पत्नी रागिनी सिंह को सामने आना पड़ा है। वह झरिया विधानसभा क्षेत्र में अपने पति की खड़ाऊ लेकर राजनीति कर रही है। क्योंकि फिलहाल विधायक के जेल से छूटने की संभावना नहीं है। जेल में रहते हुए भाजपा भी शायद संजीव को टिकट न दे। इसलिए रागिनी को आगे किया गया है। दो महीने बाद चुनाव है। भाजपा ने भी रागिनी को टिकट देने का संकेत दिया है। इस कारण विधायक के घर सिंह मैंशन के तमाम सदस्य अब रागिनी के पीछे खड़े होने का मन बना रहे हैं। इस समय सिंह मैंशन संकट से घिरा हुआ है। परिवार की तरफ से व्यूह रचना करने वाले विधायक संजीव के चाचा रामधीर सिंह रांची जेल में हैं। वह सकलदेव सिंह हत्याकांड में सजा काट रहे हैं। रामधीर सिंह के पुत्र कोल किंग सुरेश सिंह की हत्या में नामजद होने के बाद से फरार हैं। दूसरी तरफ परिवार में बिखराव है। 2014 के विधानसभा चुनाव में बहुचर्चित सूरजदेव सिंह के पुत्र संजीव को उनके चचेरे भाई नीरज सिंह ने कांग्रेस के टिकट पर चुनौती दी थी। हालांकि भाजपा के टिकट पर संजीव सिंह भारी मतों के अंतर से चुनाव जीते। नीरज सिंह की हत्या के बाद उनकी पत्नी पूर्णिमा सिंह झरिया से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही हैं। यही कारण है कि जेल में बंद विधायक के भाई मनीष ने रागिनी सिंह के पक्ष में खड़े होने का एलान कर दिया है। वहीं झरिया से विधायक संजीव सिंह ने मुखर संवाद से बातचीत के दौरान कहा था कि झरिया से रागिनी सिंह ही चुनाव लड़ेगी। अब देखना है कि रागिनी सिंह को भाजपा टिकट देती है या नहीं ? कोयलांचल की राजनीति में 2019 का झारखंड विधानसभा चुनाव काफी कुछ तय कर देगा कि किस तरह से रालजनीतिक विरासत बचती है या ढ़हती है ?
