सोनिया गांघी के मास्टर स्ट्रोक पर पीएम मोदी नहीं दे पाये जवाब तो भाजपा नेताओं ने संभाला मोर्चा, सोनिया के मजदूरों के किराया देने की घोषणा से बैकफुट पर केन्द्र सरकार

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नयी दिल्ली से अंकुर यादव की रिपोर्टः-
नयी दिल्ली: कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी के मास्टर स्ट्रेाक से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी चकरा गये हैं और प्रधानमंत्री को कोई जवाब नहीं सूझ रहा है। कांग्रेस अध्यक्षा की घोषणा से जनता और मजदूरों में कांग्रेस की अलग ही छवि बनी है। मजदूरों और छात्रों को लाने की मांग करने वाले भाजपा के नेताओं को भी अब जवाब देते नहीं सुझ रहा है। सोनिया गांधी ने घोषणा की है कि देश भर में मजदूरों को लाने का पूरा खर्च कांग्रेस पार्टी उठायेगी।
कोरोना वायरस महामारी के खिलाफ जारी लड़ाई में लागू किए गए लॉकडाउन की वजह से मजदूर लंबे वक्त से फंसे हुए थे. अब जब करीब एक महीने बाद उन्हें घर जाने की इजाजत मिली, तो केंद्र सरकार ने रेल किराये का सारा खर्च मजदूरों से वसूलने का फैसला लिया. इस पर राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है और अब कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इसको लेकर बड़ा फैसला लिया है. कांग्रेस पार्टी सभी जरूरतमंद मजदूरों के रेल टिकट का खर्च उठाएगी.सोनिया गांधी ने बयान में कहा कि जब हम लोग विदेश में फंसे भारतीयों को बिना किसी खर्च के वापस ला सकते हैं, गुजरात में एक कार्यक्रम में सरकारी खजाने से 100 करोड़ रुपये खर्च कर सकते हैं, अगर रेल मंत्रालय प्रधानमंत्री राहत कोष में 151 करोड़ रुपये दे सकता है तो फिर मुश्किल वक्त में मजदूरों के किराये का खर्च क्यों नहीं उठा सकता है?गौरतलब है कि 24 मार्च को जब लॉकडाउन लागू हुआ था, तब लाखों की संख्या में मजदूर जहां पर थे वहां पर ही फंस गए थे. उसके बाद अब करीब 40 दिन के बाद उन्हें घर जाने की इजाजत मिली है, राज्य सरकारों के निवेदन पर केंद्र सरकार ने इसके लिए स्पेशल ट्रेन की मंजूरी दी है. लेकिन इस दौरान मजदूरों के किराये का वहन राज्य सरकार उठाएगी, जो कि मजदूरों से ही लिया जाएगा. रेल मंत्रालय के इस फैसले की काफी आलोचना की गई है, ना सिर्फ राजनीतिक दल और राज्य सरकारों ने इसका विरोध किया है बल्कि सोशल मीडिया पर भी इसकी आलोचना हुई है.
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा है कि जरूरतमंद कामगारों और प्रवासी मजदूरों के रेल किराए की जिम्मेदारी संबंधित प्रदेश की कांग्रेस कमेटी उठाएगी। सोनिया का कहना कि केंद्र सरकार और रेल मंत्रालय से कई बार यह मांग की गई कि लॉकडाउन की वजह से फंसे प्रवासी मजदूरों को उनके घरों तक पहुंचाने का किराया न लिया जाए, लेकिन हमारी बात अनसुनी कर दी गई। उधर भाजपा के आईटी सेल के इंचार्ज अमित मालवीय ने तंज कसा- लोगों को भड़काने से संक्रमण तेजी से फैलेगा और इटली जैसे हालात हो जाएंगे। क्या सोनिया गांधी यही चाहती हैं?सोनिया ने कहा है कि मजदूर देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं, उनकी मेहनत और त्याग देश का आधार है। 1947 के बंटवारे के बाद देश ने पहली बार ऐसा संकट देखा है कि हजारों मजदूर सैंकड़ों किलोमीटर पैदल चलकर घर वापसी के लिए मजबूर हो गए। जबकि उनके पास पैसा, खाने-पीने का सामान और दवा तक के इंतजाम नहीं हैं।सोनिया ने सवाल उठाया कि जब विदेशों में फंसे भारतीयों को वापस लाने का किराया नहीं लिया गया तो फिर प्रवासी मजदूरों के लिए ऐसी विनम्रता क्यों नहीं दिखाई जा सकती? सोनिया का कहना है कि जब हम गुजरात के एक कार्यक्रम में सरकारी खजाने से 100 करोड़ रुपए ट्रांसपोर्ट और खाने पर खर्च कर सकते हैं, रेल मंत्रालय प्रधानमंत्री के कोरोना फंड में 151 करोड़ रुपए दे सकता है तो फिर प्रवासियों को फ्री रेल यात्रा की सुविधा क्यों नहीं दे सकते? यह परेशान करने वाली बात है कि संकट की घड़ी में रेलवे प्रवासियों से किराया वसूल रहा है।

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