पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया पर प्रतिबंध लगाने की यूपी सरकार ने केन्द्र को की अनुशंसा

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लखनउ से रंजन यादव की रिपोर्टः-

लखनऊः झारखंड की तर्ज पर यूपी सरकार ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया पर प्रतिबंध लगाने की यूपी सरकार ने केन्द्र को अनुशंसा की है। इसे पूर्व झज्ञरखंड मं भी इस संगठन पर प्रतिबंध लग चुका है। यूपी के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा है कि पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया का नाम बदलकर प्रतिबंधित संगठन सिमी ने नया अवतार धारण किया है। आगजनी, तोड़फोड़, पथराव व हिंसा के पीछे पीएफआइ का हाथ था। सिमी किसी रूप में बाहर आएगा तो उसे कुचला जाएगा। हम ऐसे संगठनों को बढ़ने नहीं देंगे। प्रतिबंध लगाने की तैयारी चल रही है। वहीं, डीजीपी ओपी सिंह ने बताया कि, पीएफआइ पर प्रतिबंध लगाने के लिए राज्य के गृह विभाग के माध्यम से भारत सरकार को पत्र भेजा जा रहा है। क्योंकि, 19 दिसंबर को हुई हिंसा में इस संगठन की संलिप्तता पायी गई है। नागरिकता संशोधन कानून बनने के बाद उत्तर प्रदेश के 22 जिलों में विरोध प्रदर्शनों के दौरान हिंसा हुई। इस हिंसा में लखनऊ व शामली व अन्य जिलों से पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआइ) के 22 पदाधिकारी व सदस्य गिरफ्तार हुए। जिनके कब्जे से कई अहम दस्तावजे पुलिस के हाथ लगे, जो इस बात को साबित करते थे कि, हिंसा में इस संगठन का सीधा हाथ था।
नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में बीते 19 दिसंबर को लखनऊ के तीन थाना इलाके में हिंसा हुई थी। इस घटना में एक ऑटो चालक की मौत हो गई। इस मामले में पुलिस ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के अध्यक्ष वसीम अहमद, कोषाध्यक्ष नदीम, मंडल अध्यक्ष अशफाक को गिरफ्तार किया था। एसएसपी कलानिधि नैथानी ने इस बात का दावा भी किया था कि लखनऊ में नागरिकता संशोधन कानून के विरोध प्रदर्शनों के दौरान हुई हिंसा का मास्टरमाइंड यही संगठन है। गृह विभाग को भेजे गए सिफारिशी पत्र में डीजीपी मुख्यालय ने लिखा है कि, इस्लामिक स्टूडेंट मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) के ज्यादातर सदस्य पीएफआइ से जुड़े हुए हैं। ये संगठन पश्चिमी यूपी में ज्यादा सक्रिय है। पूर्वी यूपी में भी अपने पांव पसार रहा था। पीएफआइ के कई सदस्य पकड़े गए हैं, जिन पर हिंसा फैलाने के आरोप हैं। इन लोगों के पास से बाबरी मस्जिद से जुड़े कई वीडियो, आपत्तिजनक साहित्य व साग्रमी बरामद की गई है। पीएफआइ यानि पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया एक उग्र इस्लामी कट्टरपंथी संगठन है। ये संगठन दक्षिण भारत में ज्यादा सक्रिय है। जबकि दिल्ली, आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, केरल, झारंखड, पश्चिम बंगाल समूचे भारत के 13 राज्यों में सक्रिय है। बीते छह माह से उत्तर प्रदेश में संगठन की गतिविधियां बढ़ गई थीं। पीएफआइ दावा करता है कि, वह एक ऐसा संगठन है जो लोगों को उनका हक दिलाता है। उसके काम सामाजिक हितों के हैं। झारखंड में गैरकानूनी कामों में संलिप्तता के चलते वहां की सरकार ने इस पर प्रतिबंध लगा रखा है। उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों में पीएफआइ ने भड़काऊ पोस्टर भी लगाए थे। पीएफआइ पर प्रतिबंध लगाने की तैयारी पर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा- प्रदेश में हिंसा भाजपा ने कराई है। इनके 200 विधायक सदन में खिलाफ थे। जबकि नाराज विधायकों की संख्या 300 है। लोग लोकतांत्रिक तरीके से अपनी बात रख रहे थे, लेकिन मुख्यमंत्री ने कहा बदला लेंगे। विधानसभा में कहा ठोक देंगे।अपनी कुर्सी बचाने के लिए पुलिस को खुली छूट दी। निर्दोष की हत्या करवाई है। गीता में हमने पढा है, उसका उदाहरण दिया है कि योगी वही है जो दूसरों का दुख अपना समझे। क्या सीएम समझ रहे हैं? भारत का रंग तिरंगा ही रहेगा, कोई एक रंग में नहीं कर पाएगा।

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