

नयी दिल्ली से शुभांगी यादव की रिपोर्टः-
नयी दिल्ली: झारखंड में अब डीपीजपी एम.वी. राव की कुर्सी पर कोई खतरा नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड सरकार के पक्ष में फैसला देकर एक.वी राव की कुर्सी सुरक्षित कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट में आज हुई सुनवाई में कोर्ट ने कहा कि वर्तमान में नियुक्त किए गए प्रभारी डीजीपी एमवी राव पद पर बने रहेंगे। इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने याचिका खारिज कर दी। एक याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी जिसमें कहा गया था कि एम.वी राव की नियुक्ति की प्रक्रिया गलत थी और के.एन. चैबे को हटाना गलत था। याचिकाकर्ता ने एमवी राव की नियुक्ति को गलत बताया है और केएन चैबे को पद से हटाने को भी नियम के विरुद्ध बताया है। केएन चैबे को 9 माह के अंदर ही राज्य सरकार ने पद से हटा दिया था, जबकि सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार डीजीपी की नियुक्ति दो साल के लिए होती है। मामले में सुप्रीम कोर्ट ने यूपीएससी, केंद्र सरकार और झारखंड सरकार को नोटिस प्रभारी डीजीपी नियुक्ति के मामले में संघ लोक सेवा आयोग की आपत्ति पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि यूपीएससी के सवालों का जवाब दे दिया गया है। राज्य सरकार को अब यूपीएससी के जवाब का इंतजार है। राज्य सरकार अपने अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत कार्य करती है। इसे ही केंद्र में रखकर नियमानुसार अधिकारियों और पदाधिकारियों की ट्रांसफर पोस्टिंग की जाती है। वहीं झारखंड की प्रमुख विपक्षी दल भाजपा के नेताओं ने ट्रांसफर पोस्टिंग को लेकर सरकार की मंशा पर सवाल उठाये हैं।
